
अंग्रेजी पर बिगड़ गई कांग्रेस, नई शिक्षा नीति पर सवाल
नई दिल्ली।
नई शिक्षा नीति में कक्षा पांचवी तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का सुझाव और अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करने के मुद्दे पर विवाद बढ़ता लग रहा है। कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ला ने इसे लेकर विरोध किया है और कहा है कि सरकार के इस कदम से गांव और गरीब बच्चों को नुकसान होगा, वह अंग्रेजी नहीं सीख पाएंगे और इससे उनको आगे चलकर नौकरी नहीं मिल पाएगी।
शुक्ला ने यह ट्वीट किया
”अंग्रेज़ी विरोध कहना तो अच्छा है लेकिन ज़िंदगी भर व्यक्ति को तरक़्क़ी से तरसना पड़ता है। गरीब व गाँव के बच्चे को शुरू से अंग्रेज़ी पढ़ानी चाहिये तब वह देश विदेश में कुछ भी बन सकता है वरना ज़िंदगी भर हीन भावना सालती रहती है। स्कूलों में शुरू से अंग्रेज़ी पढ़ाइये। ”
नई शिक्षा नीति में अंग्रेजी भाषा को लेकर यह है बदलाव 👇
5वीं कक्षा तक पढ़ाई मातृ भाषा में होगी।
महत्वपूर्ण बात ये है कि 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई अब मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही होगी. यानी अंग्रेजी में पढ़ाई की अनिवार्यता यहीं समाप्त हो जाएगी। उदाहरण के लिए अगर आप 5वीं कक्षा तक अपने बच्चे को मराठी, संस्कृत या गुजराती भाषा में पढ़ाना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं। अंग्रेजी अब सिर्फ एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाएगी।
सोशल मीडिया में शुक्ला की ट्रोलिंग
राजीव शुक्ला के ट्वीट पर सोशल मीडिया में उनकी ट्रोलिंग हुई है। कई लोगों ने ट्वीट करके कहा कि जर्मनी, फ्रांस और चीन में वहां की भाषा को ही तवज्जो दी जाती है और वह आगे चलकर अंग्रेजी भी सीख लेते हैं, लेकिन हमारे देश में ही अंग्रेजी का पिछलग्गू बन रहना अच्छा लगता है। हालांकि कुछ लोगों ने राजीव शुक्ला की बात का समर्थन भी किया है। कुछ मानना है कि इस बदलाव से गांव और गरीब के बच्चे अंग्रेजी में पिछड़ जाएंगे और शहर के बच्चों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे।