अपनी ही नगरी में भूमि विहीन होकर रह गए बाबा केदारनाथ

अपनी ही नगरी में भूमि विहीन होकर रह गए बाबा केदारनाथ
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हरेन्द्र नेगी

केदारनाथ आपदा के सात साल गुजर जाने के बाद भी श्री केदारनाथ मंदिर को अपना हक नहीं मिल पाया है। बाबा की नगरी में ही बाबा केदारनाथ भूमि विहीन होकर रह हैं। शासन व प्रशासन भी आज तक श्री केदारनाथ को उनका हक नहीं दिला पाया हैए जिस कारण बिना भूमि व भवनों के ही केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारीए वेदपाठी और कर्मचारी टूटे फूटे भवनों में रहने को विवश हैं। वर्ष 2013 की प्रलयकारी आपदा से पहले श्री केदारनाथ मंदिर केदारपुरी में सबसे बड़ा भूमिधर था। केदारपुरी में करीब 360 नाली भूमि में से अकेले श्री केदारनाथ मंदिर के नाम करीब 66 नाली भूमि थी। इस भूमि में 21 नाली खाता खतौनी संख्या आठ में संक्रमणीय अधिकार के तहत दर्ज हैए जबकि 45 नाली भूमि नजूलध्लीज ग्रांट की गई है। आपदा के समय केदारपुरी में सबकुछ तहस.नहस हो गया थाए जिसके बाद से धाम में तेजी से पुनर्निर्माण कार्य भी चल रहे हैं। मगर श्री केदारनाथ को उनका हक नहीं मिल पाया है। सात सालों से केदारनाथ में निर्माण कार्य किये जा रहे हैं और सबसे बड़े भूमिधर श्री केदारनाथ मंदिर को एक नाली भूमि पर भी अब तक जिला प्रशासन कब्जा नहीं दिला पाया है।
समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर 66 नाली भूमि के मालिक हैं। लेकिन 16-17 जून 2013 की आपदा में केदारपुरी में व्यापक तबाही हुई थीए जिससे वहां का भूगोल भी बदल गया। मंदिर समेत तीर्थ पुरोहितों और हक.हकूकधारियों की सैकड़ों नाली भूमि व भवन सैलाब की भेंट चढ़ गए थेए मगर सात वर्ष बाद भी उत्तराखंड की सरकारें व जिला प्रशासन द्वारा केदारनाथ मंदिर के नाम दर्ज 66 नाली भूमि का सीमांकन कर कब्जा नहीं दिया गया है। हैरत की बात यह है कि बीकेटीसीध्देवस्थानम बोर्ड द्वारा भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है। भूमि का सीमांकन नहीं होने से आज भी केदारनाथ में भोग मंडीए पुजारी आवासए कर्मचारी आवास आदि का निर्माण नहीं हो पाया है। आलम यह है कि मंदिर समिति वर्ष 2014 से केदारनाथ में किरायेदार बनकर यात्रा का संचालन कर रही हैए लेकिन मंदिर के नाम भूमि दर्ज भूमि का सीमांकन व कब्जा देने को लेकर सरकारी तंत्र मौन साधे हुए है। आपदा के बाद मंदाकिनी व सरस्वती नदी के बीच केदारनाथ में लगभग सात सौ नाली भूमि सुरक्षित बची है। ऐसे में मास्टर प्लान के तहत होने वाले पुनर्निर्माण कार्यों को पर्याप्त भूमि जुटाना भी प्रशासन के लिए चुनौती से कम नहीं हैं।
मामले में श्री बद्री.केदार मंदिर समिति निवर्तमान उपाध्यक्ष अशोक खत्री ने भी बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि कुछ समय पहले मंदिर समिति ने केदारनाथ धाम में अपना कार्यालय खोलनेए पुजारी आवासए कर्मचारी आवासए राॅवल निवास बनाने पर सहमति बनी थीए जिसके लिए आदित्य बिड़ला ग्रुप की ओर से चार करोड़ रूपये मंदिर समिति को दान दिए जा रहे थेए लेकिन केदारनाथ विकास प्राधिकरण व एनजीटी ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। ऐसे में सबसे बड़े भूमिधर होने के बावजूद भी श्री केदारनाथ मंदिर एक भी भवन का निर्माण नही कर पा रहा है।

वहीं केदारनाथ विधायक मनोज रावत की माने तो आपदा के सात वर्ष बीत जाने के बाद भी केदारनाथ मंदिर के नाम दर्ज 66 नाली भूमि का शासन व प्रशासन द्वारा सीमांकन कर कब्जा नहीं दिया गया हैं। मंदिर से जुड़े जरूरी भवनों व मंदिरों का निर्माण भी नहीं हुआ हैए जो गंभीर उदासीनता है। सरकार को मंदिर की भूमि का सीमांकन कर उसे तत्काल वापस करना चाहिए। इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भी भेजा गया है।

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