
बाबा रामदेव ने कोरोना की दवा की घोषणा क्या की पूरी दुनिया में तहलका मच गया। दुनिया भर की मेडिकल हेल्थ केयर इंडस्ट्री गेरुआ कपड़े वाले बाबा के बारे में जानने के लिए उतावली हो गई। जिस वैक्सीन के लिए यह दवा कंपनियां करोड रुपए खर्च कर रही थी वही दवा भारत में सस्ते दामों में बन गई, यही बात अरबों रुपए का कारोबार करने वाली कंपनियों के पल्ले नहीं पड़ी।
बाबा के पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट में कोरोना के लिए एक विशेष दवा coronil kit की घोषणा हुई थी इसके बाद से ही दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनियां छद्म रूप से बाबा के दावे को फर्जी घोषित करने में लग गई, और तो और कई राज्यों में उनके खिलाफ FIR तक दर्ज हो गई। जबकी एलोपैथिक दवा बनाने वालों के खिलाफ आज तक कोई FIR नहीं हुई , दुनिया में हजारों लाखों ऐसी दवा हैं जिन पर कई बार प्रतिबंध लगा है और यह प्रतिबंध क्लीनिकल ट्रायल पास करने के बाद लगा है फिर भी एलोपैथिक दवाओ पर कभी कोई सवाल या निशान नहीं लगा।
ऐसा क्यों होता है कि एलोपैथिक इंडस्ट्री बीमार व्यक्ति को ठीक करने के लिए किसी दूसरे तरह के इलाज पर शिफ्ट होने से रोकती है या अपने पैसों के दम पर दूसरी पद्धतियों को बदनाम करने का गंदा खेल खेलती है।
हम आपको बताते हैं कि बाबा ने ऐसा क्या कर दिया जो कि बहुत सारे लोग उनके पीछे पड़ गए – दरअसल भारत में हीं हेल्थकेयर इंडस्ट्री करीब 15 से 18 लाख करोड़ की है इसमें अस्पतालों का कारोबार 4 से 5 लाख करोड़ का है जब की दवा और मेडिकल उपकरण का कारोबार 10 से 12 लाख करोड़ का है अगर कोरोनिल ने 25% कोरोना के मरीज ठीक कर दिए तो इस कारोबार में आयुर्वेदिक दवाइयों की सेंध लग जाएगी , बस यही वो वजह है जिसके कारण बाबा रामदेव के खिलाफ कई FIR दर्ज हो गई। हालांकि भारत में इन दिनों एलोपैथी की बजाए लोग अपने देसी नुस्खों पर भरोसा कर रहे हैं। तभी तो इन दिनों हर घर में काढा पिया जा रहा है।
उम्मीद है कि एलोपैथिक मेडिकल के चुंगल से पारंपरिक इलाज लोगों को आजाद कर पाएगा , जहां आम आदमी अस्पतालो के मोटे बिलों से राहत पाएगा।
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