
अब गरारे किए हुए पानी के नमूने से ही किया जा सकता है कोरोना टेस्ट, स्वास्थ्य कर्मियों को मिलेगी राहत खर्च में भी आएगी कटौती
अगर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के जर्नल में छपे एक अध्ययन के परिणामों को लागू किया जाता है, तो आने वाले दिनों में गरारे किए हुए पानी के नमूनों से ही कोरोना टेस्ट किया जा सकता है, दरअसल
कोविड-19 की पहचान के लिए लार के नमूनों की जगह गरारे किए हुए पानी के नमूने परीक्षण के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। यह न केवल नमूने लेने के लिहाज से आसान हो सकते हैं बल्कि नमूने जमा करने के लिए इसमें प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की भी जरूरत नहीं होगी।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान जर्नल में छपे एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। हालांकि टेस्ट कराने के तरीकों को बदलने को लेकर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है
इस तरह से नमूने जमा किए जाने का व्यापक असर होगा और इससे लार और पीपीई किट की जरूरत नहीं होने से खर्च में भी कटौती होगी।
‘सार्स-कोविड-2 की पहचान के लिए लार के नमूने के विकल्प के तौर पर गरारे किया हुआ पानी’ शीर्षक से प्रकाशित इस अनुसंधान के लेखकों में डॉक्टर नवीत विग, डॉक्टर मनीष सोनेजा, डॉक्टर नीरज निश्चल और डॉक्टर अंकित मित्तल एम्स के मेडिसिन विभाग से हैं जबकि अन्य लेखक डॉक्टर अंजन तिरखा और डॉ. कपिल देव सोनी एम्स के एनेसथिसिया एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग से हैं।
इस स्टडी का उद्देश्य नमूने लेने के लिए एक आसान तरीका निकालना था। इसके साथ ही दो सैंपलिंग विधियों को लेकर मरीजों की स्वीकार्यता का भी आकलन करना था। ICMR के शीर्ष रिसर्चरों ने एम्स अस्पताल दिल्ली में मई-जून के बीच 50 कोविड मरीजों पर यह अध्ययन किया।
इसमें कुछ नियम भी तय किए गए हैं जैसे- गंभीर रूप से बीमार, बच्चे या ऐसे मरीज जो गरारे करने को लेकर दिशानिर्देश न मान सकें, उनके लिए यह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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