अब बिहार चुनाव में सुशांत सिंह राजपूत के साथ हरिवंश भी बनेंगे मुद्दा, बिहार रेजीमेंट को भुलाया

अब बिहार चुनाव में सुशांत सिंह राजपूत के साथ हरिवंश भी बनेंगे मुद्दा, बिहार रेजीमेंट को भुलाया
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रविवार के दिन राज्यसभा में विपक्ष के सांसदों ने खूब धमाल मचाया। सदन के अंदर टेबल पर चड़कर डांस किया। माइक तोड़े और गाली गलौज की भी नौबत आ गई। इस सब की बड़ी वजह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जो जदयू से सांसद है और बिहार से आते हैं, को बताया जा रहा है।

दरअसल हरिवंश ने सदन में किसान विधेयक पर वोटिंग करवाने की बजाय उसे ध्वनि मत से पास करा दिया हालांकि सभापति वेंकैया नायडु ने हरिवंश का बचाव करते हुए कहा है कि विपक्ष के सांसद इतना ज्यादा हंगामा कर रहे थे कि ऐसे हंगामे के बीच सदन व्यवस्था में नहीं था और वोटिंग कराना असंभव था।

मगर विपक्ष कुछ सुनने को तैयार नहीं है और हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है जिसे नायडू ने खारिज कर दिया है। विपक्ष की अब अगली तैयारी इस मुद्दे को बिहार चुनावों में उठाने की है। बिहार की राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कमर कस ली है।

अभी तक बिहार की राजनीति में सुशांत सिंह राजपूत का बोलबाला देखने को मिल रहा है। भाजपा और जदयू जो कि बिहार में राज कर रहे हैं। वह इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी की सरकार को घेर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि बिहार में बाढ़ और कोरोना के कहर से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सत्तापक्ष सुशांत सिंह राजपूत का सहारा ले रहा है।

बिहार रेजीमेंट को भुलाया

15 जून की रात को उत्तरी लद्दाख के गलवां घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुई भारतीय और चीनी सैनिकों की भिड़ंत में भारतीय सेना की बिहार रेजीमेंट ने गजब का साहस दिखाया था।

इसके बावजूद बिहार रेजीमेंट जवानों का मुद्दा चुनाव में कहीं नजर नहीं आता। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि इस मुद्दे में ग्लैमर नहीं है, इसलिए किसी राजनीतिक दल के एजेंडे में नहीं है।

बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने अपने फर्ज का परिचय देते हुए चीनी सैनिकों को यह अहसास दिया दिया कि हम किसी भी स्थिति में पीछे हटने वाले नहीं हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि झड़प के दौरान लगभग आधे भारतीय सैनिक मारे गए लेकिन, उन्होंने अंतिम समय तक वीरता से लड़ाई लड़ी।

सेना की ओर से जारी शहीदों की सूची के मुताबिक 20 में से 12 सैनिक बिहार रेजीमेंट के थे। इस झड़प में बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बी संतोष बाबू और जूनियर कमांडिंग अधिकारी कुंदन कुमार झा शहीद हो गए। इनके अलावा सिपाही अमन कुमार, चंदन कुमार, दीपक कुमार, गणेश कुंजाम, गणेश राम, केके ओझा, राजेश ओरांव, सीके प्रधान, नायब सूबेदार नंदूराम और हवलदार सुनील कुमार ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

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