
घर में हो रहे इस सेलिब्रेशन से आप समझ सकते हैं कि देश का सामाजिक ताना बाना अब बदल रहा है। सौम्या ने इस बार लगभग 85 फीसदी अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की है। लेकिन ये सिर्फ सौम्या की कहानी नहीं है। दिव्यांशी ने तो अंकों के मामले जो परचम लहराया है। उसमें तो लड़कें कहीं ठहरते ही नहीं है। कोरोना काल में तो लखनऊ की दिव्यांशी जैन ने 600 से पूरे 600 नंबर लाकर कमाल ही कर दिया। इससे पहले भी लड़कियों ने चाहे दसवीं का रिजल्ट हो या फिर 12वीं का। हर बार लड़कियां लड़कों को बेहतर नंबर और पास होने की औसत में पछाड़ रही है। लेकिन धीरे धीरे लड़कियों और लड़कों के बीच में ये फासला बढ़ता ही जा रहा है। इस साल 12वीं में करीब 12 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी। सुबह जब रिजल्ट वेबसाइट पर आया था तो सभी को उम्मीद थी कि लड़कियां इस बार भी लड़कों को पछाड़ देंगी। लेकिन परीक्षा के 103 बाद आए रिजल्ट का मज़ा सीबीएसई की साइट क्रेश होकर किरकिरा कर दिया। छात्रों की परेशानी को देखकर आनन फानन में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को बीच में आकर सफाई देनी पड़ी। सीबीएसई ने फिर सारे रिजल्ट स्कूलों को भेज दिए और वहां से छात्रों को अपने रिजल्ट मिले। बरहाल एक बात साफ है कि समाज में बड़ा बदलाव आ रहा है वो ये कि लड़कियां अब घर से स्कूल और स्कूल से बाहर की दुनिया में अब ड्राइविंग सीट पर हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=CyKokDkFL78&t=6s
Good going theEKhabar…