
harendra negi
कुंड में स्नान करने के बाद ही भक्त करते हैं केदारनाथ की यात्रा शुरू
2013 की विनाशकारी आपदा में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था कुंड
महिला तीर्थ यात्रियों को कुंड में स्नान करने में आ रही हैं भारी दिक्कतें
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में आई आपदा को सात साल बीत चुके हैं, लेकिन इन सात सालों में केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड का निर्माण नहीं हो पाया है। ऐसे में केदारनाथ धाम पहुंचने वाले यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर महिला यात्री कुंड में स्नान नहीं कर पा रही हैं। केदारनाथ यात्रा शुरू करने से पहले भक्त इस गर्म कुंड में स्नान करके शुद्ध होते हैं।
केदारनाथ धाम में आई विनाशकारी आपदा को शायद ही कभी भूला जा सकता है। आपदा के जख्म आज भी ताजा हैं। केदारनाथ धाम और केदारघाटी में आपदा ने जमकर तबाही मचाई थी। हजारों यात्रियों और स्थानीय लोगों के अलावा लोगों के घर, होटल, लाॅज आदि आपदा की भेंट चढ़ गये थे। आपदा से पहले केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में गर्म कुंड हुआ करता था। जो आपदा में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। पहले महिला और पुरूष यात्रियों के लिये अलग-अलग स्नान करने की व्यवस्था थी, लेकिन आपदा के बाद में जमीन में एक गढड़ा करके कुंड का रूप दिया गया है। सात सालों में कुंड का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है। जबकि कुंड के निर्माण पर लाखों रूपये भी खर्च हो गये हैं। कुंड किनारे सुरक्षा के भी कोई उपाय नहीं है। महिला यात्री कुंड में स्नान करने से कतरा रही हैं। पुरूष यात्री तो खुले कुंड में स्नान कर भी देते हैं, लेकिन महिला यात्रियों को कई बार सोचना पड़ता है।
पुराणों में भी गर्म कुंड का विशेष महात्म्य है। मान्यता है कि गर्म कुंड में स्नान करके शुद्ध होने के बाद ही केदारनाथ की पैदल यात्रा शुरू होती है। कुंड से कुछ दूरी पर ही मां पार्वती का भव्य मंदिर भी विराजमान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती भी इस कुंड में स्नान करने के बाद भगवान शंकर की तपस्या करती थी। आपदा के सात साल गुजर जाने के बाद भी कुंड का निर्माण न होने से भक्तों की आस्था को ठेस पहुंच रही है। देख-रेख के अभाव में कुंड के निकट गंदगी के अंबार भी लगे हुये हैं। भक्त लंबे समय से कुंड निर्माण की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक कुंड का निर्माण नहीं हो पाया है। व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुण्ड अरविंद गोस्वमी एवं स्थानीय निवासी रोबिन सिंह का कहना है कि आपदा को आठवा वर्ष लग चुका है, लेकिन गौरीकुंड में अभी गर्म कुंड का निर्माण नहीं हो पाया है। कुंड न होने से महिला यात्रियों को भारी परेशानियां हो रही हैं। शासन-प्रशासन भी इसमे ध्यान नहीं दे रहा है। गर्म कंुड के नाम से ही गौरीकुंड विख्यात है, लेकिन कुंड की सुध नहीं ली जा रही है।