एक और बड़ा खतरा, जिस पर किसी का नहीं ध्यान

एक और बड़ा खतरा, जिस पर किसी का नहीं ध्यान
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एक और बड़ा खतरा, जिस पर किसी का नहीं ध्यान

कोविड 19 का लोगों की सेहत पर खतरा तो सबको नजर आ रहा है लेकिन एक ऐसा खतरा भी है जिस पर अभी सरकार और लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं। धीरे-धीरे ही सही लेकिन आगे चलकर यह खतरा बहुत परेशान करने वाला है।

दरअसल पर्यावरण, प्रदूषण और हमारे वातावरण को साफ सुथरा बनाने के लिए काम करने वाली सुनीता नारायण ने इस खतरे को लेकर लोगों को चेताया है। दरअसल कोरोना काल की इमरजेंसी में प्लास्टिक के इस्तेमाल को बिल्कुल नॉर्मल कर दिया गया है, कोरोना वायरस से बचने के लिए एहतियात के तौर पर हम लोग अधिक से अधिक प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सुनीता नारायण ने बिजनेस स्टैंडर्ड अख़बार में अपने एक लेख में कहा है कि कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ लड़ाई में अभी सबसे अहम दास्ताने और मास्क माने जा रहे हैं, साथ ही पीपीई किट में भी प्लास्टिक का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने चेताया कि अगर इन मेडिकल कचरे का सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया और नियंत्रण व प्रबंधन नहीं किया गया तो आने वाले समय में हमारे शहर कचरे का ढेर बन जाएंगे।

  1. पीएम के आह्वान के उलट कदम

सुनीता नारायण ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से लोगों को प्लास्टिक के इस्तेमाल की आदत छोड़ने के लिए कहा था लेकिन उनकी सरकार इसके उलट तरीके से काम कर रही है। सुनीता नारायण का आरोप है कि प्लास्टिक उद्योग एक बार फिर नीति निर्माताओं को यह समझाने में सफल रहा है कि लगभग हर एक चीज का रीसायकल करने की क्षमता होने से प्लास्टिक अपशिष्ट कोई समस्या ही नहीं है।

सुनीता नारायण कहती है कि नालों में जमा या कूड़े के ढेर में मौजूद प्लास्टिक कचरे में अधिक हिस्सा उन चीजों का है जिनका रीसायकल नहीं किया जा सकता है, इनमें खाने पीने के सामान की बहु स्तरीय पैकेजिंग गुटका या शैंपू के सैशे और प्लास्टिक बैग शामिल है।

साल 2016 के प्लास्टिक प्रबंधन नियमों में इस बात को स्वीकार किया गया था और फैसला किया गया था कि इस पर पाबंदी लगेगी और सभी तरह के उच्च स्तरीय प्लास्टिक उपयोग को 2 साल में चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया जाएगा लेकिन साल 2018 में इन नियमों में नुकसान देय बदलाव कर दिए गए और अब केवल गैर पुनः चक्रीय प्लास्टिक उत्पादों को ही धीरे-धीरे बन्द किया जाएगा।

कूड़े वाले के लिए प्लास्टिक अलग अलग करना बहुत मुश्किल आप घर पर ही करिए प्लीज

सुनीता नारायण कहती है कि सिद्धांत तौर पर बहुस्तरीय प्लास्टिक को पूरी तरह नहीं किया जा सकता उन्हें सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन हर कोई जानता है की प्लास्टिक के इन सैशे या मिट्टी लगे थैलों को छांटना इकट्ठा करना और दूसरी जगह रीसाइकिल के लिए भेजना लगभग नामुमकिन है, लिहाजा कारोबार पहले को ही तरह चलता रहा है। ऐसे हमारी कचरा समस्या दूर नहीं होने वाली है। यह सही है कि घरों में ही प्लास्टिक को सावधानी से अलग करने की जरूरत है इससे जिम्मेदारी हम पर और स्थानीय निकाय पर आ जाती है समय आ गया है कि हम पूरी दुनिया को अलग कर दें।
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