
गोबर, गोमूत्र दूध, और दही से इको फ्रेंडली श्री गणेश की मूर्तियां गांव की महिलाओं ने की तैयार, महिला आईएएस ऑफिसर ने किया प्रोमोट
गणेश चतुर्थी के मौके पर कोविड 19 की वजह से धूम नहीं होने और सलमान खान जैसे बड़े स्टार के यहां गणेश चतुर्थी मनाने जैसी खबरें टेलीविजन मीडिया में आ रही हैं, ऐसे में गणेश चतुर्थी को लेकर एक खबर और भी है, जो शायद आपको अच्छी लगेगी।
दरअसल, मध्य प्रदेश के सतना जिले में वहां की जिला पंचायत की पहल पर महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा पंचगव्य यानी गोबर, गोमूत्र, दूध और दही से इको फ्रेंडली श्री गणेश की मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। सतना जिले की आईएएस अधिकारी रिजु बाफना ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है और इस पहल को प्रोमोट किया है।
जिला पंचायत सतना की ओर से कहा गया है कि शास्त्रों में गोबर से बनी मूर्तियों का विशेष स्थान है। समस्त धार्मिक संस्थानों में गोबर से गौरी गणेश की सांकेतिक मूर्तियां बनाई जाती हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि गणेश उत्सव के उपरांत मूर्तियों का विसर्जन घर पर ही बाल्टी या टब में पानी में डालकर किया जा सकता है, मूर्ति पानी में घोलकर पंचगव्य खाद का रूप ले लेगी।
पंचगव्य खाद पौधों के लिए अमृत समान है इस प्रयास से प्लास्टिक ऑफ पेरिस एवं अन्य सामग्रियों के विसर्जन से तालाबों और नदियों में होने वाले प्रदूषण से बचा जा सकता है।
जिला पंचायत का दावा है कि इस कारण गोबर से बनी मूर्तियां पर्यावरण प्रेमियों में अधिक लोकप्रिय हो रही हैं।
गणेश उत्सव पर घरों संस्थानों दुकानों आदि में स्थापित किए जाने के लिए 10 इंच आकार की आकर्षक श्री गणेश मूर्तियां उपलब्ध हैं।
रिजु बाफना ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के vocal 4 local के नारे यानी देश के गांव ग्रामीण में बनी वस्तुओं को प्रमोट कर आत्मनिर्भर बनाने की योजना को गणेश चतुर्थी के मौके पर अमल करने का जिक्र किया है।
ट्वीट में सतना जिला पंचायत की ओर से
गोबर से निर्मित मूर्तियां, दीपक शुभ लाभ एवं स्वास्तिक आदि खरीदने की अपील की गई है।