
गलवान में भारतीय सीमा के अंदर घुसना चीन के लिए भारी पड़ रहा है। भारत सरकार के चीन के एप्स पर रोक लगाने के बाद अब भारतीय कंपनियां भी लगातार चीन की कंपनियों को अपने प्रोजेक्ट्स से बाहर कर रही हैं। ताजा मामला जम्मू कश्मीर का है। जहां एक चाइनीज़ कंपनी अपनी पहचान छुपाकर इस प्रोजेक्ट में सबकॉन्ट्रेक्ट लेकर काम कर रही थी। मामला पता लगने पर सरकारी कंपनी आरईसी ने स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट से चीन की कंपनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
मोदी सरकार ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी कंपनियों को काम देने की वकालत की है। इसके बाद से ही विदेशी कंपनियों ख़ासकर चीनी कंपनियों को कई प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया गया है। ख़ासकर टेलीकॉम और एनर्जी दोनों क्षेत्रों में चीन की बड़ी बड़ी कंपनियां निवेश कर रही थी। साथ ही चीन की संरकारी कंपनियां लगातार यहां ठेके जीत रही थी। लेकिन अब मामला उलटा हो गया है। कई मामलों में तो चीनी कंपनियां अपनी पहचान छुपाकर भी भारतीय कंपनियों के साथ काम कर रही हैं।
जम्मू कश्मीर में भी आरईसी को 1.155 लाख स्मार्ट मीटर लगाने थे। कंपनी ने ये प्रोजेक्ट एक भारतीय कंपनी टेक्नो इलेक्ट्रिक को दिया था। पहले से ही इस तरह क प्रोजेक्ट्स से चीन की कंपनियों को दूर रखा जा रहा था। ताकि किसी तरह के संभावित साइबर अटैक से बचा जा सके। लेकिन इस प्रोजेक्ट की समीक्षा में पाया गया कि एक कंपनी जोकि भारत में रजिस्टर्ड थी। वो दरअसल चीन की एक कंपनी की सब्सिडरी है। वो इस प्रोजेक्ट में सबलीज़ का काम कर रही थी।
आरईसी ने कहा है कि इस समीक्षा के बाद इस कॉन्ट्रेक्टर को हटा दिया गया है। ख़ास बात ये है कि हाल ही में कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार की चाइनीज़ कंपनियों को बाहर किए जाने घोषणा के बाद भी बहुत सारे प्रोजेक्ट्स में अभी भी चाइनीज़ कंपनियां काम कर रही हैं।