
इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Internet and Mobile Association) ने 4 सितंबर को ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्लेटफॉर्म्स के लिए अपने सेल्फ-रेगुलेशन कोड का तीसरा संस्करण जारी किया।
दरअसल नेटफ्लिक्स (Netflix), अमेज़ॅन प्राइम वीडियो (Amazon Prime video) और डिज़नी + हॉटस्टार (HotStar) जैसे प्लेटफार्मों पर फिल्मों और टीवी शो की ऑनलाइन (Online) स्ट्रीमिंग मध्यम वर्ग के लिए एक नियमित सुविधा बन गई है। खासकर कोविड -19 लॉकडाउन के बाद से उसके उपभोक्ता बढ़ गए हैं।
हालांकि इन स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों के कार्यक्रमों को लेकर भी काफी आलोचना शुरू हो गई हैं। आलोचकों का कहना है कि इन प्लेटफार्म पर चलने वाली धारावाहिक और फिल्म बहुत ज्यादा अश्लीलता, गाली गलौज और हिंसा दिखाई जाती है और सेंसर बोर्ड या अन्य किसी तरह का नियामक लागू नहीं होने का यह प्लेटफार्म पूरा फायदा उठाते है। इसे लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर हुई है।
अगस्त 2019 में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऐसी एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया । याचिका में इन डिजिटल प्लेटफार्मों को सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, कानून के तहत लाने की मांग की थी जो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा सभी नाटकीय रिलीज के प्रमाणन के लिए प्रदान करता है।
इस वर्ष की शुरुआत में भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें इन प्लेटफार्म के लिए नियम तैयार किए जाने तक इन प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी ।