

Harendra negi
बेंगलुरू से मंगाये गए हैं कटप्पा पत्थर
स्थानीय स्तर पर निर्मित कटुआ पत्थरों का भी किया जा रहा उपयोग
मंदिर प्रांगण और पितृ शिला में लगाये जा रहे हैं ये पत्थर
केदारनाथ की तर्ज पर मंदिर के आगे लगाये जा रहे कटुआ पत्थर
तंुगनाथ में होती है भगवान शिव की भुजाओं की पूजा
प्रत्येक वर्ष पहुंचते हैं लाखों पर्यटक एवं यात्री
रुद्रप्रयाग। तृतीय केदार के रूप में विश्व विख्यात और सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान तुंगनाथ मंदिर Tungnath Temple के प्रांगण में इन दिनों बेंगलुरू से आये हुए कटप्पा और स्थानीय स्तर के कटुआ पत्थर से सजावट की जा रही है। मंदिर के आगे प्रांगण तैयार किया गया है, जिससे यात्री यहां पर बैठ कर आराम से तुंगनाथ धाम के दर्शन कर सकें। तीन वर्षों से चल रहा कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। मंदिर के आगे और पितृ शिला पर कटप्पा पत्थरों के बिछने से धाम की भव्यवता बढ़ गयी है।
तुंगनाथ धाम को वैसे तो तृतीय केदार के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह पर्यटन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। तुंगनाथ मंदिर चोपता Chopata इलाके में है जोकि मशहूर पर्यटन स्थल है। माह जब तुंगनाथ के कपाट बंद रहते हैं तो तब भी यहां हजारों की संख्या में पर्यटक बर्फबारी का दीदार करने के लिये पहुंचते हैं। तुंगनाथ धाम में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है। प्रत्येक वर्ष लाखों यात्री दर्शन के लिये तुंगनाथ धाम पहुंचते हैं। तुंगनाथ धाम में सेंचुरी वन अधिनियम लागू है, जिस कारण यहां के विकास पर असर पड़ा है। मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिये जिला प्रशासन की ओर से यहां मंदिर प्रांगण का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर प्रांगण में बेंगलुरू से आये कटप्पा और स्थानीय स्तर के कटुआ पत्थरों को बिछाया जा रहा है। पहले की तुलना में अब तुंगनाथ मंदिर काफी भव्य नजर आ रहा है। दृ
तुंगनाथ मंदिर की भव्यवता को लेकर जहां बेंगलुरू से कटप्पा पत्थर मंगाए गए हैं, वहीं स्थानीय स्तर पर मिलने वाले कटुआ पत्थर को भी मंदिर के आगे लगाया जा रहा है। यह पत्थर काफी मजबूत है। इससे मंदिर की सुंदरता और मजबूती बनी रहेगी। केदारनाथ की तर्ज पर ही इस कटुआ पत्थर को
मंदिर पुजारी नरेन्द्र सिंह भंडारी एवं अनुसूया मैठाणी ने बताया कि तीन वर्षो से मंदिर पं्रागण में यह कार्य धीमी गति से चल रहा था। पिछले दिनों जिलाधिकारी वंदना सिंह के तुंगनाथ धाम पहुंचने पर कार्य में गति आई है। उन्होंने कहा कि मंदिर प्रांगण, पितृ शिला एवं भूतनाथ मंदिर प्रांगण में बेंगलुरू से आया कटप्पा और स्थानीय स्तर पर निर्मित कटुआ पत्थर लगाया जा रहा है। पत्थर का कार्य पूरा होने के बाद मंदिर की भव्यता और बढ़ जायेगी।