
देश के आयुष सचिव पर आरोप, हिंदी में संवाद नहीं कर पाने वालों को वेबीनार से जाने को कहा, मचा बवाल
एकबार फिर भाषाई विवाद के मसले को लेकर विवाद बढ़ गया है। दरअसल, आयुष मंत्रालय के सचिव पर आरोप लगा है कि कि उन्होंने मंत्रालय के एक वेबीनार के दौरान हिंदी में संवाद नहीं कर पाने वाले प्रतिभागियों को सत्र को छोड़कर जाने के लिए कहा था। द्रमुक सांसद कनिमोझी ने इस मामले की शिकायत करते हुए आयुष मंत्री श्रीपद नाईक को एक चिट्ठी लिखी है। कनिमोझी ने अपनी शिकायत में मामले की जांच कराए जाने की भी मांग की है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा पर आरोप है कि वेबीनार के दौरान गैर हिंदी भाषी डॉक्टरों को कथित तौर पर प्रशिक्षण सत्र छोड़कर जाने को कहा गया। हालांकि छोटे जाने का है कि सोशल मीडिया में जो वीडियो क्लिप वायरल हो रही है उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। सचिव ने कहा है कि उस वेबीनार में कुछ घर संबंधित व्यक्ति घुस गए थे और उन्हें बार-बार अंग्रेजी बोलने के लिए विवश कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी अंग्रेजी इतनी अच्छी नहीं है और वह हिंदी में बोलना पसंद करते हैं।
कनिमोझी ने इस वाकए को गंभीर बताते हुए आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा को निलंबित किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा, इससे पता चलता है कि किस तरह हिंदी को थोपा जा रहा है। एक ट्वीट में कनीमोरी ने इसकी निंदा करते हुए कहा, ‘सरकार सचिव को निलंबित करे और उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करे। गैर-हिंदी भाषी वक्ताओं को बाहर करने का यह रवैया कब तक सहेंगे?’
इससे पहले भी द्रमुक सांसद कनिमोझी ने कथित भाषाई भेदभाव का मामला उछाला था। कनिमोझी ने आरोप लगाए थे कि हवाई अड्डे पर जब उन्होंने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की एक अधिकारी से तमिल या अंग्रेजी में बोलने को कहा था तब वह पूछ बैठी कि क्या आप भारतीय हैं। क्या आपको हिंदी नहीं आती है ? इस कथित वाकए को उछालते हुए कनिमोई ने ट्वीट कर पूछा था कि मैं जानना चाहूंगी कि कब से भारतीय होना हिंदी जानने के बराबर हो गया है यानी भारतीय होने के लिए हिंदी जानना जरूरी है?