दो साल जिस फैसले को किया था वापस उसे फिर ले लिया, ऑनलाइन निगरानी का मामला

दो साल जिस फैसले को किया था वापस उसे फिर ले लिया, ऑनलाइन निगरानी का मामला
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याद है कि 2 साल पहले तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यकाल में मोदी सरकार ने एक विवादित टेंडर जारी किया था जिसमें एक सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब बनाने की बात कही गई थी जो कि ऑनलाइन डाटा की निगरानी करें।

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मोदी सरकार के इस टेंडर को लेकर बहुत ज्यादा बवाल मचा था और सरकार को आनन-फानन में इस टेंडर को वापस लेना पड़ा था क्योंकि विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इसके जरिए सोशल मीडिया पर नियंत्रण करना चाहती है क्योंकि उसकी इस प्लेटफार्म पर काफी बुराई हो रही है।

लेकिन अब दो साल बाद मोदी सरकार का सूचना प्रसारण मंत्रालय एक बार फिर इस टेंडर को लेकर आया है। इस टेंडर के जरिए कुछ एजेंसियों को सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब बनाने के लिए नियुक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया है।

द प्रिंट अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट की पत्रकार अमृता नायक दत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक 18 सितंबर को एक एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी किया गया है। यह मसौदा ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड यानी बेसिल की ओर से जारी किया गया है।

इसमें ऐसी एजेंसियों को नियुक्त करने की बात कही गई है, जो सोशल मीडिया ट्रैक, सोशल मीडिया की भावनाओं की निगरानी, वायरल होने वाली सामग्रियों को तैयार करने में सरकार की मदद करें। यह ईओआई 2017 के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के क्रम में ही है।

सूत्रों ने बताया कि अभी तक चार कंपनियों ने इस काम के लिए अपनी रुचि जाहिर की है।

माना जाता है कि टि्वटर फेसबुक इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी और इनके डाटाका विश्लेषण किया जाएगा।

2018 की टेंडर को इस वजह से भी वापस किया गया था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने इसे सर्विलांस स्टेट यानी निगरानी करने वाले देश से तुलना की थी।
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