
धीरज कुमार
नई दिल्ली। कोविड-19 की वजह से पिछले 3 महीने से ज्यादा के समय से लगे देश भर में लॉकडाउन की वजह से बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। महानगरों से लेकर छोटे शहरों और गांवों से हर रोज खबरें आ रही हैं कि नौकरी जाने की वजह से टीचर मजदूरी कर रहा है, कोई सिलाई कढ़ाई कर रहा है, कोई सब्जी बेच रहा है और कोई गार्ड की नौकरी कर रहा है।
सबसे ज्यादा दिक्कतें गेस्ट टीचर की हुई है। सरकारी से लेकर निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले गेस्ट टीचर के पास काम नहीं है। जबकि इन अध्यापकों की शैक्षिक योग्यता काफी ज्यादा है कई लोगों ने विभिन्न विषयों में पीएचडी तक की है। उच्च शिक्षा में डॉक्टरेट हासिल करने के बावजूद भी उनको ऐसा काम नहीं मिल पा रहा जिससे वह अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं।
गेस्ट टीचरों की इस हालत के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारों की खामोशी पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऑल इण्डिया स्कूल पेरेंट्स संघ अध्यक्ष शिवानी भटनागर कहती हैं की स्कूल अध्यापकों का शोषण कर रही है वह पेरेंट्स पर भी फीस का दबाव बना रही हैं और साथ ही अध्यापकों की सैलरी भी नहीं दे रही है। भटनागर का कहना है कि सरकार की खामोशी की वजह से ही शिक्षकों को को यह बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं। शिक्षविद्व अशोक पूरी कहते है कि शिक्षकों की भलाई के लिए सरकार को गाइडलाइन लानी चाहिए। साथ ही जो पेरेंट्स फीस देने में सक्षम हैं, उन्हें स्कूल में फीस देनी चाहिए, ताकि शिक्षकों को सैलरी मिल सके। इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।
दिल्ली सरकार की बात करें तो यहां के शिक्षा विभाग विभाग ने अपने एक आदेश में कहा था कि “सभी गेस्ट टीचर्स को 8 मई 2020 तक भुगतान किया जाए और गर्मियों की छुट्टियों के दौरान अगर उनसे काम लिया जाता है तो ही भुगतान किया जाए।” अब चूंकि स्कूल पूरी तरह से बंद है, ऐसे में गेस्ट टीचर्स की सैलरी बंद हो गई है।