
ट्ले ट्रेनों की लेटलतीफी से लंबे समय से परेशान रेलवे अब बड़ी संख्या में अपनी ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में देने की योजना बना रहा है। रेलवे सूत्रों की माने तो अगले तीन सालों में 12 ट्रेनें और अगले सात सालों में 151 ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में देने जा रही है।
रेलवे पिछले कुछ समय से अपने नेटवर्क पर प्राइवेट पैसेंजर ट्रेनें चलाने की कोशिश कर रही है। हालांकि अभी तक रेलवे सिर्फ तेजस ट्रेनों को ही प्राइवेट हाथों में दे पाया है। अब रेलवे ने 151 मॉडर्न पैसेंजर ट्रेनें चलाने के लिए प्राइवेट सेक्टर से प्रस्ताव मांगा हैं। इन ट्रेनों को चलाने के लिए प्राइवेट कंपनियों की ओर से शुरुआत में करीब 30 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। रेलवे ने हर साल के हिसाब से ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में देने की योजना तैयार की हुई है। जिसमें पहले साल (2022-23) में 12 और अगले साल 45 ट्रेनें रेलवे की कोशिश है कि अगले सात सालों में 151 ट्रेनों को वो प्राइवेट हाथों में दे सके।
RFQ नवंबर तक
रेलवे ने निजी हाथों में ट्रेनों को चलाने के लिए 8 जुलाई को ही विज्ञापन निकाला है। इसमें जो कंपनियां प्राइवेट ट्रेनें चलाने के लिए तैयार हैं। उन्हें नवंबर तक RFQ का इंतज़ार करना होगा। रेलवे की ओर से तय की गई टाइमलाइन के मुताबिक, फाइनेंशियल बिड मार्च 2021 में खोली जाएगी और 31 अप्रैल 2021 तक सफल आवेदक चुन लिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक सबसे ज्यादा औसतन रेवेन्यू देने वालों को इस प्रोजेक्ट के लिए चुना जाएगा।
स्वदेशी ट्रेनें ही चलेंगी
इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए रेलवे 70 फीसदी प्राइवेट ट्रेनें भारत में ही बनेंगी और तो और इन ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की मैक्सिमम स्पीड के हिसाब से बनाया जाएगा। 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा में 10% से 15% कम समय लगेगा, जबकि 160 किलोमीटर की स्पीड से 30% समय बचेगा। इनकी स्पीड मौजूदा समय में रेलवे की ओर से चलाई जा रहीं सबसे तेज ट्रेनों से भी ज्यादा होगी।