सचिन पायलेट ने साफ कर दिया है कि वो बीजेपी में नहीं जाएंगे। इससे पहले लगातार ये कयास लगाए जाते रहे हैं कि वो जल्द ही ज्योतिरादित्या सिंधिया की तरह बीजेपी में शामिल होंगे और राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनेगी। लेकिन कल से आज तक के बीच में सचिन पायलेट की उम्मीदों पर पानी फिर गया। सचिन ने दावा किया था कि 30 विधायक उनके साथ है। लेकिन ये दावा सच साबित नहीं हुआ। दूसरी ओर अशोक गहलोत ने अपनी कुर्सी बचा ले जाने के बाद सचिन पायलेट का नाम लिए बिना कहा कि अच्छी अंग्रेजी बोलने से कोई बेहतर नेता नहीं हो जाता।
सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलेट ने कुछ दिनों पहले बीजेपी के कुछ बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर दावा किया था कि उनके साथ करीब 30 विधायक हैं और अशोक गहलोत की सरकार इससे अल्पमत में आ गई है। हालांकि बीजेपी ने सचिन को सीधे तौर पर कोई आश्वासन नहीं दिया था। यानि जो कुछ करना था सचिन पायलेट ने ही करना था। अगर वो इसमें कामयाब होते तो बीजेपी बाद में पायलेट की मदद करती । लेकिन सचिन अपने दावों को हकीकत में नहीं बदल सके। लिहाजा बीजेपी ने इस मुद्दे पर ज्य़ादा कुछ नहीं कहा। इसी वजह से अब सचिन पायलेट बीजेपी में जाने की बातों को नकार रहे हैं। हालांकि दूसरी ओर अशोक गहलोत की सरकार में सेंध लग रही थी तो दूसरी ओर राजस्थान बीजेपी में भी सचिन पायलेट को लेकर कोई बहुत आश्वस्त नहीं थी। ख़ासकर सचिन के आने से वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों का रूख भी केंद्रीय नेतृत्व देखना चाहता था। इसलिए भी सचिन पायलेट को सीधे तौर पर कोई आश्वासन नहीं दिया गया था।
दूसरी और अशोक गहलोत ने सचिन पायलेट से ना सिर्फ उपमुख्यमंत्री पद ले लिया। बल्कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से भी बेदखल कर दिया गया। इस पूरे मामले में अशोक गहलोत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजनीति में तजुर्बा मायने रखता है। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम से ये तो साबित हो गया की राजस्थान सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा और आने वाले समय में भी ये राजनैतिक उठापठक चलती रहेगी।