विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने लद्दाख में बने तनाव को लेकर बातचीत की। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मई से शुरू हुए इस विवाद के बाद यह पहली बैठक थी।
दोनों मंत्री मॉस्को में चल रही शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की बैठक के इतर मुलाकात कर रहे थे। यह बातचीत करीब 3 घंटे तक चली।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने चीन को सीमा पर शांति और सौहार्द का माहौल बनाने के लिए कहा है।
सूत्रों ने कहा है कि जयशंकर ने भारत की मांग को दोहराते हुए कहा है कि अप्रैल में पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ से पहले एलएसी पर जो स्थितियां थी उसको दुबारा जस की तस बहाल की जाए। माना जाता है कि उन्होंने वांग को कहा कि भारतीय सेना ने कभी भी एलएसी का उल्लंघन नहीं किया है जैसा कि चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने आरोप लगा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि इस बैठक का असली मकसद यह सुनिश्चित करना था कि दोनों पक्ष बातचीत कर आपसी मतभेदों और तनाव को कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि सीमा पर कैलाश रेंज के कई इलाकों में बहुत ज्यादा तनाव बना हुआ है। चुशूल, देपसांग और पैंगोंग टीएसओ जैसे इलाकों में तनाव बहुत ज्यादा है।
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष बातचीत को सैन्य और राजनयिक स्तर पर भी बातचीत को आगे बढ़ाने के मुद्दे पर सहमत हुए हैं।
पिछले 4 महीने से कई बेनतीजा
पिछले 4 महीने से भारत और चीन के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई है लेकिन लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं
सूत्रों ने बताया कि पैंगोंग टीएसओ इलाके में तो भारत और चीन के सैनिक सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर आमने सामने खड़े हैं।
जयशंकर और वांग की बैठक से घंटो पहले ही गुरुवार को दोनो पक्षों के ब्रिगेडियर कमांडर, कमांडिंग ऑफिसर के बीच पैंगोंग टीएसओ
के तनाव को लेकर बातचीत हुई।