
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने योगी सरकार के खिलाफ धावा बोल दिया है। हाथरस में दलित महिला की हत्या को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे बंगाल के चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गई है।
तृणमूल कांग्रेस ने इस सामूहिक बलात्कार कांड को लेकर हाथरस से लेकर पश्चिम बंगाल तक हल्ला बोल छोड़ दिया है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल जिसकी अध्यक्षता राज्य सभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन कर रहे थे, इस प्रतिनिधिमंडल ने हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश की और यूपी पुलिस के साथ जबरदस्त धक्का-मुक्की और टकराव देखने को मिला। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो में कई पुलिस वाले तृणमूल सांसद के साथ बदसलूकी करते हुए दिखे। जबकि तृणमूल सांसद भी पुलिस वालों को चैलेंज देते हुए धक्का मारते हुए वीडियो में दिखे।
डेरेक ओ ब्रायन कथित तौर पर जमीन पर गिर गए, जब वह तृणमूल की महिला सांसद प्रतिमा मंडल की मदद कर रहे थे। पुलिस सांसदों को पीछे की ओर धकेल रही थी। इसके बाद डेरेक ओ ब्रायन ने मंडल और लोकसभा सांसद काकोली घोष के साथ मिलकर पीड़ित परिवार के घर से 1 किलोमीटर दूर धरना प्रदर्शन किया।
दलित बहुल इलाकों पर ममता की नजर
आज शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता में हाथरस मामले को लेकर बड़ी रैली करने वाली है। वह उत्तरी बंगाल के सार्वजनिक कार्यक्रम में हाथरस मामले को ” शर्मनाक और नृशंस ” करार दे चुकी है। वह भाजपा और योगी सरकार को “दलित विरोधी” कह चुकी है।
ममता बनर्जी जिस जगह पर यह बयान दे रही थी वह जलपाईगुड़ी का इलाका है जो दलित बहुल आबादी माना जाता है। जलपाईगुड़ी लोक सभा सीट में 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें से 6 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और एक आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित है।
2019 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को उत्तरी बंगाल कि एससी और एसटी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था जिसमें जलपाईगुड़ी की एससी सीटें और अलीपुर द्वार की आदिवासी आरक्षित सीटें भी शामिल थी।
तृणमूल कांग्रेस ने हाथरस मामले को लेकर अभियान उस समय छेड़ा है जब भाजपा पहले से ही पश्चिम बंगाल में महिला की सुरक्षा का मुद्दा जनता के बीच उछाल रही है। हाथरस के मुद्दे के जरिए ममता बनर्जी भाजपा पर महिला और दलित विरोधी होने का बड़ा आरोप साबित करने की कोशिश में जी जान से जुट गई है।
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