
मुकेश साहनी की पार्टी हैं – ‘VIP’। विकास इंसान पार्टी। बीजेपी ने अपने कोटे से 11 सीटें दी है।
वीआईपी अध्यक्ष मुकेश साहनी को विधान परिषद भी भेजेगी।
तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन से मुकेश साहनी नाता तोड़कर एनडीए में आए हैं।
मुकेश 19 साल की उम्र में मुंबई चले गए थे इसके बाद उन्होंने वहां कई तरह का काम किया, सेल्समैन की नौकरी भी की बाद में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में बॉलीवुड सेट बनाने का काम किया फिल्म देवदास और बजरंगी भाई जान के फिल्म सेट भी उन्होंने बनाए। उन्होंने वहां काफी पैसा कमाया इस पैसे का इस्तेमाल उन्होंने बिहार में खुद को राजनीतिक रुप से खड़ा करने ने खर्च किया।
बिहार में 2010 के बाद सामाजिक तौर पर जुड़े मुकेश साहनी दरअसल पिछड़ी जाति मल्लाह से आते हैं।
बिहार में मल्लाह समुदाय की आबादी करीब 6 फीसदी है, जिसके तहत 10 जातियां आती हैं।
2013 में उन्होंने अखबारों के पहले पृष्ठ में विज्ञापन दिया और खुद को मेला का बेटा बताया वह सन ऑफ मल्लाह नाम से भी मशहूर है इसके बाद उन्होंने अखबारों में अपने कुछ बड़े घर के बड़े विज्ञापन दिए खुद को सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर किया
हालांकि, उन्होंने अपना सियासी सफर 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने के लक्ष्य के साथ शुरू किया था।
मुकेश 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी का चुनाव प्रचार किया।
बीजेपी को भरोसा था कि मुकेश साहनी ‘सन ऑफ मल्लाह’ की वजह से एनडीए को मल्लाहों का वोट जरूर मिलेगा।
लालू-नीतीश की एकजुटता से घबराई बीजेपी को मुकेश से काफी आस थी, लेकिन चुनाव परिणाम एनडीए के पक्ष में नहीं आए जिसके बाद एनडीए से मुकेश की दूरियां बढ़ने लगीं। जिसके बाद उन्होंने एकबार फिर मुंबई पर फोकस किया लेकिन लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही फिर से बिहार में वापसी कर ली।
उन्होंने 2018 में अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन किया। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वो महागठबंधन में शामिल हो गए और तीन सीटों पर उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा था. वो खुद खगड़िया सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन कोई सीट हाथ नहीं लगी।
अब वह फिर भाजपा के साथ था। बीजेपी को उनकी जाति से बहुत उम्मीदें हैं पार्टी को लगता है कि अति पिछड़ा समुदाय के वोट उनकी तरफ आ सकते हैं। अगर चुनाव में साहनी को सफलता हाथ लगती है और भाजपा को फायदा होता है तो वह आने वाले दिनों में बिहार में ही रहेंगे नहीं तो फिर पहले की तरह बोरिया बिस्तर बांध कर मुंबई की ओर रुख कर लेंगे और फिर चुनाव आते ही बिहार उनको याद आएगा।
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