
राम मन्दिर पर चुप क्यों हैं नीतीश
नई दिल्ली।
कांग्रेस समेत भारत के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने राम मंदिर के मुद्दे पर टिप्पणियां की। कई नेताओं ने अयोध्या में प्रस्तावित मंदिर को लेकर कई ट्वीट किए। लेकिन एक पार्टी, वह भी सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी दल के मुखिया नीतीश कुमार इसे लेकर उदासीन दिखे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में भूमि पूजन में राम मंदिर की आधारशिला रखी।। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ राहत शिविर और सामुदायिक रसोईघर का निरीक्षण करने के लिए दरभंगा पहुंचे।
अयोध्या समारोह पर मुख्यमंत्री चुप रहे, न ही सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया, न ही इस पर साउंड बाइट की पेशकश की।
नीतीश ने बुधवार को चार बार ट्वीट किया, जिसमें उनके एक ट्वीट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच की राज्य सरकार की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद दिया।
उनके दो ट्वीट हवाई सर्वेक्षण से जुड़े थे, जबकि दूसरा खगड़िया, सहरसा और दरभंगा में डूबने वाली नौकाओं के बारे में था।
बिहार बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि जदयू सार्वजनिक रूप से सुरक्षित खेल रही है। भाजपा प्रवक्ता रजनी रंजन पटेल ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि नीतीशजी ने कोई बयान दिया या नहीं। लेकिन हमें याद है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया, तो उन्होंने इसका स्वागत किया, ”
जनता दल यूनाइटेड में इस बात को लेकर चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री की चुप्पी राज्य के मुसलमानों के साथ उनके जटिल संबंधों का परिणाम हो सकती है, जो आबादी का 16 प्रतिशत है।
जब से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बिहार में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा और 1990 में उन्हें गिरफ्तार किया था, तब से मुसलमानों ने राजद का लगातार समर्थन किया है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस वजह से भी नीतीश इस मुद्दे पर बिहार चुनावों से ठीक पहले चुप रहना ही ठीक समझ रहे हैं क्योंकि उनको पता है कि जैसे ही वह मुंह खोलेंगे उनके विरोधी भी साथ ही साथ उनके खिलाफ मुंह खोल देंगे।
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