
अयोध्या में जब 5 अगस्त को जब राम मंदिर का शिलान्यास होगा, तो दादी उर्मिला चतुवेर्दी के लिए खुशी के साथ साथ अपने संकल्प के पूरा होने का दिन भी होगा। जबलपुर की रहने वाली 87 साल की उर्मिला चतुर्वेदी ने पिछले 28 सालों से अन्न ग्रहण नहीं किया है। रामभक्ति में लीन रहने वाली उर्मिला सिर्फ दूध और फलहार कर ही रहती हैं। यह संकल्प उन्होंने विवादित ढांचे के गिरने के बाद लिया था। उर्मिला चतुर्वेदी का संकल्प है कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता है, तब तक वह अन्न नहीं ग्रहण करेंगी। अब इंतजार की घड़ी खत्म होने वाली है। दादी उर्मिला चतुर्वेदी इसी दिन अपना व्रत तोड़ेंगी। इसे लेकर उनके घर में खुशी का माहौल है।
87 साल की उर्मिला चतुर्वेदी ने पिछले 28 सालों से केवल इसलिए उपवास किया क्योंकि वे अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनते हुए देखना चाहती थीं। सन 1992 में जब कारसेवकों पर खुलेआम गोलियां चलवा दी थी और कितने ही कारसेवक मारे गए थे। तब उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम शुरू न हो जाए, तब तक वह अनाज ग्रहण नहीं करेंगी। उन्होंने 1992 के बाद से खाना नहीं खाया और सिर्फ फलाहार से ही जिंदा रहीं। जबलपुर के विजय नगर इलाके की रहने वाली दादी उर्मिला चतुर्वेदी ने संकल्प लिया था कि अब वह अनाज तभी खाएंगी, जब देश में भाईचारे के साथ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। अपनी इस तपस्या का फल मिलते देख दादी बहुत खुश हैं। हालांकि वो खुद राम मंदिर शिलान्यास देखने के लिए अयोध्या जाना चाहती हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण वो इस समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगी।
उर्मिला चतुर्वेदी की इच्छा है कि अयोध्या में उनके लिए भी कोई ऐसी जगह निश्चित हो, जिससे उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की शरण में रहने का अवसर मिले। 87 साल की उर्मिला चतुर्वेदी अपना बचा हुआ जीवन भगवान राम की शरण में ही बिताना चाहती हैं।