
लद्दाख में एलएसी पर चीन की लगातार घुसपैठ को देखते हुए भारत ने सेना को खुली छूट दे दी है। ताकि वो अपने हिसाब से चीन की सेना से निबट सके। इसके साथ साथ सेना को 300 करोड़ रुपये से ज्य़ादा के हथियार खरीदने के लिए भी आजादी दे दी है। हालांकि दूसरी तरफ कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत जारी है। लेकिन भारत ने चीन को साफ संदेश दे दिया है कि वो जैसे को तैसा वाली नीति पर ही कायम रहेगा।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, गलवान के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत में कई बातों पर सहमति हो गई थी। लेकिन अब एक बार फिर चीन उस सहमति का सम्मान नहीं कर रहा है। उसकी निगाहें एलएसी से जुड़े उन विवादित इलाकों पर थीं, जिस पर दोनों देशों के बीच नोमेंस जोन बनाने पर सहमति दी। सूत्रों के मुताबिक ड्रैगन एक ओर बातचीत का नाटक कर रहा है और दूसरी ओर सीमा पर कुछ विशेष जगहों पर कब्जा करना चाह रहा है। इसे भांपते हुए भारत ने अपनी ओर से रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ऐसी चोटियों पर अपनी स्थिति मजबूत करने की योजना बनाई। अब अपनी ही रणनीति पर मुंह की खाने और भारत की ओर से जवाबी पलटवार से चीन बौखलाया हुआ है।
दरअसल, अब तक सीमा विवाद से जुड़े मुद्दे पर होने वाली सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत में चीन की स्थिति मजबूत थी। कारण यह था कि इस बातचीत में भारत शिकायत करने तो चीन शिकायत का संज्ञान लेने की भूमिका में था। चूंकि एलएसी पर अतिक्रमण चीन की ओर से हुआ था तो इस बातचीत के दौरान भारत की भूमिका एलएसी पर पूर्व स्थिति बहाल करने पर जोर देने तक सीमित थी। कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक इस विवाद में पहली बार ऐसा हुआ है जब चीन शिकायत करने और भारत शिकायत का संज्ञान लेने की भूमिका में है। आधिकारिक सूत्र के मुताबिक कूटनीतिक और सैन्य या इस तरह की किसी भी तरह की बातचीत में शिकायतकर्ता के हाथ ज्यादा कुछ हाथ नहीं आता।
मई में जब चीनी घुसपैठ का खुलासा हुआ तो भारत ने ड्रैगन को कड़ा संदेश देने के लिए पूर्व तैयारियों पर जोर दिया। पहले एलएसी पर अपनी तरफ सैन्य स्थिति मजबूत की। खुद को हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार किया। इसके बाद पहली बार दक्षिण चीन सागर इलाके में जंगी जहाज उतार कर भारत ने इस मोर्चे पर भी ड्रैगन को घेरने का संदेश दिया। अब रणनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में भारत की पकड़ मजबूत हो गई है। इसके बाद गलवान घाटी में भिड़ंत के बाद 29-30 अगस्त की रात पैंगोंग झील में दोनों देशों के सेना के बीच झड़प हुई। पैंगोंग झील में भिड़ंत के बाद तीन अहम चोटियों पर कब्जा कर भारत ने चीन को संदेश दे दिया है कि वह किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।