
पाकिस्तान से लगी जम्मू की सीमा पर इन दिनों अलग तरह के बख्तरबंद ट्रेक्टर खेत जोतते नज़र आ रहे हैं। इस ज़मीन पर खेती 18 साल के बाद हो रही है। दरअसल सीमा पर बसे किसानों को बीएसएफ के हिसाब से खेती करनी पड़ती है। पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी के कारण बीएसएफ ने इस इलाके को डेंजर जोन घोषित करके यहां खेती रूकवा दी थी। लेकिन अब इस हज़ारों एकड़ जमीन पर फिर से ट्रैक्टर चला है। हालांकि अभी यहां खेती प्रशासन की मदद से बीएसएफ ही करेगी।
दरअसल पंजाब और जम्मू में बहुत बड़ा इलाके की खेती सीमा के पास बसे होने की वजह से रूक गई है। भारत ने अपनी ज़मीन पर तारबंदी कर दी है। तारबंदी के दूसरी ओर भारतीय किसानों की काफी बड़ी ज़मीन हैं जोकि सीधे पाकिस्तान की फायरिंग रेंज में हैं। इसलिए ही खतरे को देखते हुए इन ज़मीनों पर खेती रोक दी गई थी। लेकिन अब यहां बख्तरबंद ट्रैक्टर की मदद से खेतों की जुताई हो रही है। ताकि आसपास के गांवों के लोगों की आय में बढ़ोतरी हो। खेती न होने के चलते जमीन पर झाड़ियां, सरकंडे उग चुके हैं, जिन्हें हटाकर इस साल खेती का सारा जिम्मा बीएसएफ और प्रशासन के पास है। अगले साल से ये जमीन खेती के लिए किसानों को सौंप दी जाएगी।
हालांकि इन खेतों में काफी सरकंडे उग गए थे। यहां से सरकंडे को साफ करने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बीएसएफ की 97 बटालियन के सीओ सत्येंद्र गिरी ने कहा कि हम किसानों के लिए खेती में पूरा सहयोग रहेगा। तारबंदी के आगे जुताई का काम शुरू कराने के बाद डीसी ओपी भगत ने कहा कि यहां खेती शुरू होने से सीमावर्ती किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। 18 वर्षों के बाद फिर से यहां किसान खेती कर पाएंगे, जिससे उनके आर्थिक हालात भी सुधरेंगे। उन्होंने बताया कि पहाड़पुर से लेकर बोबिया तक सारी जमीन पर पहली बार प्रशासन बीएसएफ के सहयोग से फसल लगाएगा। जितनी भी फसल तैयार होगी सीमावर्ती किसानों को दे दी जाएगी। बाद में किसानों को उनके खेत दे दिए जाएंगे और बाद में खुद खेती करेंगे।