
Bureaucracy: सिक्किम सरकार को राज्य के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर बड़ा झटका लगा है। असल में सिक्किम सरकार ने राज्य में पुलिस महानिदेशक के पद पर आईपीएस अफसर ए. सुधाकर राव को नियुक्त किया था। जबकि राव के खिलाफ पूर्व में कई गंभीर मामले दर्ज हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने उनके खिलाफ चल रही जांच की अनदेखी कर उन्हें डीजीपी के पद पर नियुक्त किया था। राज्य सरकार ने डीजीपी के पद के लिए वरिष्ठता सूची को भी अनदेखी की थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
असल में याचिका में सिक्किम सरकार के उस आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गयी है। जिसमें आईपीएस श्री ए. सुधाकर राव को सिक्किम के पुलिस महानिदेशक का प्रभार दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने अधिवक्ता सतीश कुमार के माध्यम से एक गगन राय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। याचिका में तर्क दिया गया कि सिक्किम सरकार ने प्रकाश सिंह बनाम के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं किया है। इसके साथ ही नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में नहीं होने का आरोप लगाया गया है। राव पर यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी से रिश्वत मांगने का आरोप है। इस मामले में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था। दिलचस्प ये है कि सीबीआई ने उनके खिलाफ तब कार्यवाही की जब राव सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर थे।
नियुक्ति को लेकर दायर की गई याचिका
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, राज्य सरकार ने रिक्ति पद पर नियुक्ति के लिए प्रस्ताव को संघ लोक सेवा आयोग को नहीं भेजा। जबकि नियमों के तहत मुख्य सचिव और डीजीपी की सेवानिवृत्ति की तारीख से कम से कम तीन महीने पहले ये नाम आयोग के भेजे जाने चाहिए। याचिका में तर्क दिया गया कि संघ लोक सेवा आयोग निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार पैनल तैयार करने में विफल रहा। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव भेजा गया था और यूपीएससी ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को पैनल रिपोर्ट नहीं भेजी थी।
सीबीआई ने राव को किया था गिरफ्तार
असल में पिछले दिनों ही सिक्किम के पुलिस महानिदेशक एन.के.मिश्रा सेवानिवृत्त हो गए थे और राज्य सरकार ने ए. सुधाकर राव को राज्य पुलिस विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि ए. सुधाकर राव को सीबीआई ने रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था और वह राज्य के दागी अधिकारी माने जाते हैं। राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठे थे। कहा जा रहा है कि सिक्किम सरकार सुधाकर राव को राज्य का डीजीपी बनाने की तैयारी कर रही है। क्योंकि राज्य सरकार की ओर से यूपीएससी को भेजे गए पैनल में राव का नाम भी शामिल है। जबकि डीजीपी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति के लिए गृह मंत्रालय और सीवीसी समेत कई केंद्रीय एजेंसियों से क्लीयरेंस लेना जरूरी होता।
सीबीआई में प्रतिनियुक्ति में थे राव
दरअसल सिक्किम कैडर के आईपीएस ए. सुधाकर राव अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश (अविभाजित) में सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर थे और उन्हें सीबीआई की दिल्ली टीम ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने राव के घर पर भी छापा मारा था और वहां से नकदी सहित आभूषण मिले थे। सीबीआई ने उन्हें एक मामले में जमानत देने के लिए बीमा अधिकारी से 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दरअसल, इस मामले में सीबीआई को राव के खिलाफ शिकायतें मिली थीं और उसके बाद सीबीआई ने जाल बिछाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। असल में सीबीआई मुख्यालय में सुधाकर राव के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद डीआईजी सुदीप प्रताप सिंह के नेतृत्व में दिल्ली से सीबीआई के 15 अधिकारियों की एक टीम बनाई गई थी और जिसने विशाखापत्तनम में राव और दो अन्य आरोपियों के घरों पर छापा मारा और वहां से राव के घर साढ़े सात लाख कैश, 3 लाख की जूलरी और ढाई लाख की एफडी के साथ-साथ एक मकान के दस्तावेज, तीन फ्लैट और तीन प्लॉट मिले थे। वहीं सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया और सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया।
राव की नियुक्ति में फेल हुआ मोदी सरकार का 360 डिग्री का फॉर्मूला
सुधाकर राव को एडिशनल डीजीपी का चार्ज देने और उसका नाम यूपीएससी भेजने के बाद लगता है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का 360 डिग्री का नियम फेल हो गया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने अधिकारियों की नियुक्ति में पारदर्शी होने और दागी अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त न करने के लिए यह फार्मूला शुरू किया था। लेकिन ए। सुधाकर के मामले में सभी नियमों और फार्मूले को दरकिनार कर दिया गया है। राज्य सरकार ए. सुधाकर राव का नाम यूपीएससी को भेज दिया गया है। जबकि उनके खिलाफ चल रही जांच गृह मंत्रालय और सीबीआई के पास विचाराधीन है। वहीं अब इस मामले में एक बात और सामने आ रही है। जिसके मुताबिक कहा जा रहा है कि राव के मामले में यूपीएससी भी हिचकिचा रही है और वह बार-बार डीजीपी के पैनल को भेजे गए नामों पर फैसला नहीं कर उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही एक और सवाल उठता है कि क्या ए. सुधाकर राव को गृह मंत्रालय, सीबीआई और सीवीसी ने क्लीन चिट दे दी थी?