किंगमेकर बनने का सपना देखने लगे चिराग़, बिहार में अलग लड़ेंगे चुनाव, चुनाव नतीजों बाद महागठबंधन को भी समर्थन देने में गुरेज नहीं

किंगमेकर बनने का सपना देखने लगे चिराग़, बिहार में अलग लड़ेंगे चुनाव, चुनाव नतीजों बाद महागठबंधन को भी समर्थन देने में गुरेज नहीं
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केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान बिहार के आगामी चुनाव में किंग मेकर बनना चाहते हैं इसलिए उनकी लोक जनशक्ति पार्टी ने रविवार को फैसला लिया है कि पार्टी एनडीए गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार की अगुवाई में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी।

पार्टी ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। हालांकि पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरी तरह से समर्थन किया है, क्योंकि रामविलास और चिराग पासवान केंद्र की मोदी सरकार से बाहर निकलना नहीं चाहते, अगर बाहर निकलते हैं तो रामविलास पासवान को मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।

रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान उम्मीद है कि चुनावों में अकेले लड़ने से उनको ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि नीतीश कुमार और भाजपा दोनों ही उनको ज्यादा सीटें देना नहीं चाहते थे ऐसे में छोटे और बड़े पासवान को लग रहा है कि ज्यादा सीटों पर लड़ने से उनकी भूमिका किंग मेकर की हो सकती है ऐसे में अगर चुनाव नतीजों में उनका और राजद व कांग्रेस वाले महागठबंधन का पलड़ा भारी होता है तो वह चुनावों के बाद महागठबंधन को भी सरकार बनाने के लिए समर्थन देने में गुरेज नहीं करेगी। ऐसी स्थिति में केन्द्र की सत्ता छोड़कर बिहार की सत्ता के लिए भाव तोल करेंगे।

सीट बंटवारे को लेकर एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने पिछले महीने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से पांच बार मुलाकात कर चुके हैं. जबकि एक बार वह गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले. एलजेपी के सूत्रों की मानें तो पार्टी को केवल 15 से 20 सीटों का ऑफर मिला है। लेकिन एलजेपी ने 42 सीटों की मांग रखी है। जेडीयू नेता पहले ही कह चुके है कि उसका एलजेपी के साथ गठबंधन नहीं है। बीजेपी अपने हिस्से से एलजेपी के साथ सीटें साझा करे।

मणिपुर का फॉर्मूला

इससे पहले मणिपुर में भी एलजेपी इसी फॉर्मूले के तहत चुनाव लड़ चुकी है । 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव में भी एलजेपी ने बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ा था और चुनाव बाद वह सरकार में शामिल हो गई थी और उनके विधायक को मुख्यमंत्री बीरेंद्र सिंह ने अपनी सरकार में मंत्री बनाया था।

माना जा रहा है कि एलजेपी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दोनो पार्टियों में कटुता नहीं है। विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो सकती है. हो सकता है कि एलजेपी चुनाव बाद मणिपुर की तर्ज पर बीजेपी को समर्थन करे।

एलजेपी ने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट पर अपनी पार्टी का विजन डॉक्यूमेंट तैयार कर लिया हैं. एलजेपी के बिहारी फर्स्ट और बिहार फर्स्ट के विजन डॉक्यूमेंट में जो भी कार्यक्रम हैं उन्हें आगामी सरकार में लागू किया जाए लेकिन इसके लिए जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) तैयार नहीं है.

इससे पूर्व में भी कई बार देखा गया है कि जो पार्टियां केंद्र में गठबंधन का हिस्सा होती हैं, वो विभिन्न राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ती हैं. झारखंड एवं मणिपुर में विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एलजेपी के बीच में कोई गठबंधन नहीं था. एलजेपी ने इन चुनावों अपने उम्मीदवार उतारे थे. एलजेपी आगे भी भविष्य में एनडीए का हिस्सा रहेगी.
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