
दिल्ली में हुआ दंगा पहले से सोची समझी साजिश थी। दिल्ली पुलिस ने इसके पूरे सबूत जुटा लिए हैं, पुलिस के मुताबिक दिल्ली में CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन का एक ही पैटर्न था। उसी के तहत ही शाहीन बाग और पूर्वी दिल्ली में सड़कों को ब्लॉक किया गया था। दिल्ली नोएडा का एक बड़ा संपर्क काटकर इन दंगों के लिए माहौल पैदा किया गया था।
दिल्ली दंगों के आरोपित व आतंकवाद निरोधक कानून (यूएपीए) में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद से इस बारे पूछताछ की जाएगी। दिल्ली पुलिस ने करीब 11 लाख पेज की इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट तैयार की है। अब पुलिस इन दस्तावेजों के आधार पर उमर खालिद और दूसरे आरोपियों से पूछताछ करेगी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने खालिद को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट में पेश किया था। पुलिस को खालिद की 10 दिनों की हिरासत मिल गई है। पुलिस FIR के मुताबिक उमर ने अलग-अलग स्थानों पर सीएए के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों में भड़काऊ भाषण दिए थे और लोगों से अपील की थी कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरें और प्रर्दशन करें, ताकि अमेरिका और बाकी देशों को मैसेज जाए कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। इसके साथ ही गुप्त तरीके से प्रर्दशन को जो तरीका अपनाया गया वो शाहीन बाग से लेकर बाकी सभी जगह एक जैसा ही था। दिल्ली पुलिस के डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा के मुताबिक करीब 25 जगहों पर सड़कों पर प्रदर्शन करने का पैटर्न एक जैसा था। वहां बाहर से लोगों ने आकर सड़कें जाम की। पहली बार में सड़क पर बैनर के साथ प्रदर्शन किए गए और बाद में वहां टेंट लगाकर धरना दिया गया और फिर वहां लोगों की भीड़ लगाकर सड़क को बंद कर दिया गया। बंद की गई सड़कों को लेकर आम आदमी को काफी परेशानियां हो रही थी। खुद कोर्ट ने कई बार शाहीन बाग में सड़क खाली कराने के लिए कहा। लेकिन प्रदर्शनकारी सड़क से नहीं उठे। इसके बाद पूर्वी दिल्ली में भी ऐसा ही हुआ तो वहां स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। इससे हिंसा भड़क गई और इसमें करीब 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे।