
ganesh chaturthi : मध्यप्रदेश के कई मंदिरों में भगवान अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि (riddhi-siddhi) के साथ विराजमान हैं लेकिन खरगोन जिले (Khargon) के महेश्वर (Maheshwar) में स्थित यह प्रदेश का इकलौता मंदिर है जहां विध्नहर्ता अपने पुत्रों के साथ (Shubh-Labh) विराजमान हैं।
मध्यप्रदेश में भगवान श्री गणेश के कई एतिहासिक मंदिर हैं जहां वे अपने दिव्य स्वरूपों में भक्तों के संकटों का हरण करने के लिए विराजमान हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में बप्पा का एक ऐसा मंदिर है जहां वे अकेले नहीं बल्कि अपने दोनों बेटों शुभ और लाभ (Shubh-Labh) के साथ विराजमान हैं और दर्शनार्थियों को रिद्धि-सिद्धि (riddhi-siddhi) का आशीष दे रहे हैं।
नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर है बप्पा का ये दिव्य मंदिर
प्रदेश के कई मंदिरों में भगवान अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं लेकिन खरगोन जिले के महेश्वर में स्थित यह प्रदेश का इकलौता मंदिर है जहां विध्नहर्ता अपने पुत्रों के साथ विराजमान हैं। महेश्वर में नर्मदा नदी के उत्तर तट पर स्थित इस गणेश मंदिर की ख्याति धीरे-धीरे प्रदेश के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी फैल रही है। गणेशोत्सव के मौके पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन और पूजन अर्चन के लिए आते हैं। गणेश चतुर्थी पर दर्शनार्थियों की संख्या हजारों में पहुंच जाती है।
इस एक परंपरा का पालन करता है सब दुखों का निवारण
मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में बेर के पेड़ मौजूद है, जिसके चलते भक्त बप्पा को प्रसाद के रूप में बेर ही चढ़ाते हैं। यहां चतुर्थी भी बेर चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है। मंदिर के पास ही नर्मदा तट है, नदी से निकलने वाले पत्थरों से लोग घर भी बनाते हैं लोगों का मानना है कि ऐसा करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वे लोग फिर मंदिर में आते हैं और पत्थरों का घर बनाते हैं। भगवान श्री गणेश के अपने पुत्रों के साथ विराजमान होने के चलते मंदिर का खास महत्व है, देश में शायद ही कोई ऐसा मंदिर कहीं मौजूद होगा।