
50 फ़ीसदी से ज्यादा सरकारी कर्मचारी के बच्चे अपनी मेहनत से आईएएस आईएफएस बनने में होते है सफल
नई दिल्ली। हर साल होने वाली सिविल सेवाओं की परीक्षा के नतीजे किसानों के बच्चों की कहानियों को सामने लाते हैं और ग्रामीण इलाकों के अन्य लोग भी इससे प्रेरित होते हैं। हालांकि प्रमुख सिविल सेवा प्रशिक्षण अकादमी लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) के आंकड़े बताते हैं कि हर साल कम से कम आधी भर्तियों में सफल होने वाले युवा सरकारी अधिकारियों के बच्चे हैं।
2014 से एलबीएसएनएए में फाउंडेशन कोर्स करने वाले सिविल सेवकों में से कम से कम 50 फीसदी सरकारी सेवा की पृष्ठभूमि वाले वाले परिवारों से आते हैं।
फाउंडेशन कोर्स (FC) LBSNAA द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय विदेश सेवा (IFS) के नए भर्ती किए गए सिविल सेवकों के लिए एक परिचयात्मक पाठ्यक्रम है। यह पाठ्यक्रम पिछले साल तक केवल IAS और IFS के लिए अनिवार्य था, लेकिन सरकार ने अब सभी नई सिविल सेवा भर्तियों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है।
एलबीएसएनएए द्वारा प्रतिवर्ष संकलित आंकड़ों के अनुसार 326 अधिकारी प्रशिक्षुओं (ओटी) में से 166 के पिता – 50.9 प्रतिशत – जिन्होंने 2019 में फाउंडेशन कोर्स लिया, वे सरकारी सेवाओं से संबंधित थे।
एलबीएसएनएए रिकॉर्ड केवल प्रशिक्षुओं के पिता के व्यवसायों को सूचीबद्ध करता है न कि उनकी माताओं को।
2018 के लिए डेटा LBSNAA के साथ उपलब्ध नहीं है, लेकिन 2014 तक सभी पूर्ववर्ती वर्षों में ट्रेंड समान थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार में कार्यरत माता-पिता के लिए अपने बच्चों को उसी पेशे में भेजना स्वाभाविक है, जैसा कि वकीलों, राजनेताओं और डॉक्टरों आदि के बीच देखा जाता है।
यह भी देखा गया है कि ज्यादातर जूनियर कर्मचारियों के बच्चे सिविल सेवा में सफल हुए हैं। जानकारों का कहना है कि जूनियर कर्मचारी के बेटे या बेटी के लिए एक सिविल सेवक की नौकरी, जीवन में बड़ा कदम है।
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