
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ (Lucknow) बैंच ने उत्तर प्रदेश हाथरस के DM और ADG (Law) को हाथरस मामले में फटकार लगाई है। बैंच ने कहा है कि रात को किसी की अंत्योषि करना वो भी बिना परिवार के और धार्मिक रीतिरिवाज के बिना ये मानवाधिकार का हनन है।
पीठ ने मंगलवार को सुनाए गए आदेश में सरकार को हाथरस जैसे मामलों में शवों के अंतिम संस्कार के सिलसिले में नियम तय करने के निर्देश भी दिए है।
एडीजी लॉ प्रशांत कुमार को कड़ी फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्होंने बलात्कार पर ऐसा बयान क्यों दिया, जबकि वह मामले के विवेचनाधिकारी भी नहीं थे। पीठ ने कहा कि कोई भी अधिकारी जो मामले की जांच से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है, उसे ऐसी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए जिससे अनावश्यक अटकलें और भ्रम पैदा हो। कोर्ट ने एडीजी से पूछा क्या उन्होंने बलात्कार की परिभाषा पढ़ी है?
अदालत में हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने खुद कुबूल किया है कि शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला जिला प्रशासन का था, इसपर अदालत ने कहा कि राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे ताकि मामले की पूरी विधिक और न्यायिक कार्यवाही निष्पक्ष रूप से हो सके।
जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने अपने 11 पेज के आदेश में सरकार द्वारा इस मामले में सिर्फ तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (SP) विक्रांत वीर के ही खिलाफ कार्रवाई किए जाने और जिलाधिकारी को बख्श देने पर सवाल भी खड़े किए। अदालत ने पीड़ित परिवार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के भी निर्देश दिए। दरअसल हाथरस में दलित युवती के साथ हुए बलात्कार के बाद उसकी मौत हो गई थी। मामले को बढ़ते देख पुलिस ने युवती मौत के बाद रातोंरात उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।