
कभी भारतीय क्रिकेट टीम रीड़ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर मराठी होते हुए भी टीम में कैसे पंजाबी बन गए। इस बारे में लोगों को काफी जिज्ञासा रहती है। लेकिन भारतीय टीम के तेज़ गेंदबाज़ रहे अशीष नेहरा ने जिज्ञासा शांत कर दी है कि मराठी सचिन कैसे सचिन पाजी बन गए। दरअसल सचिन तेंदुलकर को पूरी टीम और सभी पुराने साथी सचिन को पाजी के नाम से पुकारते थे और बाद में सभी क्रिकेटर तेंदुलकर को इसी नाम से पुकारने लगे। जबकि तेंदुलकर खुद मराठी हैं। पंजाबी में पाजी का मतलब बड़ा भाई होता है।
एक टीवी चैनल के शो में आशीष ने बताया कि पहले हम सचिन को सचिन भाई कहते थे। बात 2003 वर्ल्ड कप ही है। जब सचिन ने 98 रन की लाजवाब पारी खेली थी, वो भी पाकिस्तान के सामने। पाकिस्तान को हराकर टीम बहुत खुश थी। होटल वापस जाते हुए हरभजन ने एक गाना गाना शुरू किया। पाजी नंबर वन….बस यहीं से मराठी सचिन तेंदुलकर टीम के लिए पंजाबी सचिन पाजी बन गए।
इससे पहले पाजी का खिताब बस कपिल देव को मिला हुआ था। उन्हें भी क्रिकेट जगत के लोग कपिल पाजी कहते हैं।
बता दें कि सचिन तेंदुलकर की 98 रनों की उस पारी को वनडे की सबसे शानदार पारियों में से एक माना जाता है। सेंचुरियन में इसी पारी के साथ सचिन ने वनडे में 12000 रन पूरे किए थे। भारत ने पाकिस्तान को छह विकेट से हरा कर विश्व कप में पाकिस्तान के साथ अपना वर्ल्ड कप रिकॉर्ड 4-0 कर दिया था। यानी विश्व कप में भारत पाकिस्तान से कभी नहीं हारा था। अब यह आंकड़ा 7-0 पहुंच चुका है।
सचिन तेंदुलकर ने शोएब अख्तर की गेंद पर सबसे लोकप्रिय छ्क्का प्वॉइंट पर मारा था। 274 रनों का पीछा करते हुए पारी के दूसरे ओवर में सचिन ने शोएब की शॉर्ट और वाइड बॉल पर यह छक्का लगाया था। इसके बाद उन्होंने फ्लिक पर एक चौका लगाया। उस छक्के के 17 साल बाद आज भी वह छक्का यादगार बना हुआ है।