
किरायेदार समय से अधिक रहेगा तो लगेगा भारी जुर्माना, अगले एक महीने में आदर्श किराया कानून को मंजूरी
केंद्र सरकार अगले एक महीने में आदर्श किराया कानून को मंजूरी दे सकती है। शहरी विकास मंत्रालय ने जुलाई 2019 में आदर्श किराया कानून का मसौदा जारी किया था, जिसमें प्रस्ताव था कि किराये में संशोधन करने से तीन महीने पहले मकानमालिक को लिखित नोटिस देना होगा। इसमें जिला कलेक्टर को किराया अधिकारी के रूप में नियुक्त करने और किरायेदारों पर समय से अधिक रहने की स्थिति में भारी जुर्माना लगाने की वकालत की गयी है।
केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद इसे राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को भेज दिया जायेगा ताकि वह उसके आधार पर अपने राज्यों में कानून बनाकर उसे अमल में ला सकें।
केंद्र सरकार का यह कदम किराये के आवास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है. आवास और शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा, “हम एक बहुत बड़ा सुधार लाने जा रहे हैं. हम किराया कानून को बदल रहे हैं।”
आवास सचिव ने कहा कि विभिन्न राज्यों में मौजूद वर्तमान किराया कानून किरायेदारों के हितों की रक्षा के हिसाब से बनाये गये हैं. उन्होंने कहा कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश भर में 1.1 करोड़ से अधिक घर खाली पड़े हैं, क्योंकि लोग उन्हें किराये पर देने से डरते हैं. मिश्रा ने कहा, “उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि एक साल के भीतर हर राज्य इस आदर्श कानून को लागू करने के लिये जरूरी प्रावधान करें.”
उन्होंने कहा,”हमें उम्मीद है कि इस कानून के लागू होने के बाद खाली फ्लैट में से 60-80 फीसदी किराये के बाजार में आ जायेंगे.” उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट डेवलपर अपने अनबिके आवास को किराये के आवास में भी बदल सकते हैं। साथ ही खाली पड़े अपने मकानों को भी बिल्डर किराए पर दे सकता है।