कोरोना महामारी ने देश में करोड़ो लोगों को बेरोज़गार कर दिया है। पिछले चार महीनों में दो करोड़ लोगों को तो सीधे सीधे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। जबकि करोड़ों लोगों को ही अपनी सैलरी में कटौती भी सहनी पड़ी रही है। इसके साथ ही नौकरियां भी पिछले साल की तुलना में करीब दो करोड़ कम हो गई हैं। नौकरी पेश के अलावा बिजनेस क्लास पर भी इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ा है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ जुलाई में ही करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है।
संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) महेश व्यास ने कहा कि, ‘वेतनभोगियों के लिए नौकरियां के अवसर भी पहले के मुकाबले काफी कम हुए हैं। पिछले साल की तुलना में अगर बात की जाए तो इस साल दो करोड़ नौकरियों के अवसर कम हुए हैं।
इतना ही नहीं, कोरोना काल में कई क्षेत्रों की कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में भी कटौती की। वहीं कई कर्मचारियों को बिना भुगतान के छुट्टी पर भेज दिया गया। ऐसे में उद्योग सरकार को समर्थन देने का अनुरोध कर रहे हैं।
इससे पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि रोज़गार क्षेत्र का बुरा हाल है क्योंकि कहीं भी डिमांड नहीं थी। लेकिन CMIE के आकंड़ों ने इस अनुमान को सही साबित किया है। नौकरियां जाना तो ठीक है अगर नौकरियों के अवसर ज्य़ादा होंगे तो। लेकिन नौकरियों के अवसर भी कम हुए हैं। लिहाजा रोज़गार पाना अब बहुत ही मुश्किल काम साबित हो रहा है।
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