
Nancy Pelosi in Taiwan: क्या चीन ने ‘सैन्य कार्रवाई’ शुरू की थी जब अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान गई थीं? ताइवान की सेना ने ऐसा दावा किया है। उनका कहना है कि चीन के 21 सैन्य विमानों ने उन्हें घेर लिया है। ये सैन्य विमान द्वीप के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन (एडीआईजेड) तक पहुंच गए हैं।
नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से नाराज चीन ने 50 मिनट के भीतर ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास और ‘सैन्य कार्रवाई’ की धमकी दी। चीन ने कहा है कि वह ताइवान के कुछ हिस्सों में लक्षित सैन्य कार्रवाई कर सकता है। अमेरिका में तीसरे नंबर की ताकत रखने वाली स्पीकर नैंसी पेलोसी रात 8.14 बजे ताइवान पहुंच गई हैं। इसके तुरंत बाद चीन ने ताइवान में सैन्य ठिकानों को चुन चुनकर निशाना बनाने की बात कही है। पेलोसी के अमेरिका से ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने गुरुवार से ताइवान के छह तरफ सैन्य अभ्यास की घोषणा की है। इस ड्रिल में जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट्स को भी शामिल किया गया है।
ताइवान को चारों तरफ से घेरेगा चीन
ताइवान के आसपास होने वाला चीन का सैन्य अभ्यास बहुत अलग और चिंताजनक होगा। इसमें चीन ताइवान को घेरेगा और छह इलाकों में मिलिट्री ड्रिल करेगा। चीनी सेना ने कहा है कि वह गुरुवार से रविवार तक ताइवान के आसपास के छह इलाकों में आवश्यक सैन्य अभ्यास करेगी। इसमें लाइव फायर ड्रिल भी शामिल होंगे।
ताइवान को हर दिशा से घेरेगा चीन
पीएलए पूर्वी थिएटर कमांड ताइवान के आसपास संयुक्त सैन्य कार्रवाई करेगा। इसमें द्वीप (ताइवान) के आसपास उत्तर, दक्षिण पश्चिम और दक्षिण पूर्व में लंबी दूरी के तोपखाने से गोलीबारी होगी। इसके अलावा द्वीप के पूर्व में मिसाइल परीक्षण फायरिंग होगी। चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पीएलए पेलोसी की ताइवान यात्रा के जवाब में लक्षित सैन्य अभियानों का संचालन करेगा। कहा गया है कि चीन मजबूती से राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेगा।
इस सैन्य अभ्यास के मामले पर ताइवान की प्रतिक्रिया भी आई है। उन्होंने इसे ‘मनोवैज्ञानिक खतरा’ करार दिया। ताइवान में लेवल-2 का अलर्ट भी जारी किया गया है। युद्ध की तैयारी के लिए यह अलर्ट जारी किया गया है। 1996 के बाद पहली बार ताइवान में इस तरह का अलर्ट जारी किया गया है।
चीन और ताइवान के बीच युद्ध किस बारे में है?
ताइवान और चीन के बीच युद्ध बहुत पुराना है। 1949 में, कम्युनिस्ट पार्टी ने गृहयुद्ध जीता। तब से दोनों हिस्से खुद को एक अलग देश मानते हैं लेकिन इस बात पर विवाद है कि कौन सी सरकार राष्ट्रीय नेतृत्व का नेतृत्व करेगी। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। दोनों के बीच दरार की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुई थी। उस समय चीन की मुख्य भूमि में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमिनटांग के बीच युद्ध चल रहा था।
1940 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमिनतांग पार्टी को हराया। हार के बाद कुओमिनटांग के लोग ताइवान आए। उसी वर्ष, चीन का नाम बदलकर ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का नाम बदलकर ‘चीन गणराज्य’ कर दिया गया था। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और मानता है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बनेगा। वहीं ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। इसका अपना संविधान है और एक चुनी हुई सरकार है।