
शनिवार 17 अक्तूबर, से नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 24 अक्तूबर तक चलेंगे। इस दौरान मां के नौ रूपों की पूजा होती । माना जाता है कि इस दौरान मां के 52 शक्तिपीठ के दर्शन से सब दुख दूर हो जाते हैं। लेकिन कम ही लोगों को मालूम होगा कि माता के 52 पीठों में कई पीठ विदेशों में है। कभी ये पड़ोसी देश भारत के ही हिन्दु राजाओं के होते थे और इन पड़ोसियों की जनसंख्या भी हिन्दु धर्म को ही मानती थी। लेकिन धीरे धीरे विदेशी आक्रमणों के कारण ये स्थान विदेशी हो गए और यहां के ज्य़ादातर लोगों ने भी धर्मपरिवर्तन कर लिया। लेकिन अभी भी पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, तिब्बत और श्रीलंका जैसे देशों में मां के शक्तिपीठ हैं। इन देशों में अभी भी इन मंदिरों में नवरात्रि के समय यहां लंबी लाइनें लगती हैं।
आपको बता दें भगवान शिव जब माता सती के वियोग में माता सती के शव को लेकर तांडव करने लगे थे तब भगवान विष्णु ने सुर्दशन चक्र से माता सती के शव के टुकड़े कर दिए। माता सती के अंग और आभूषण जहां- जहां गिरे वो शक्तिपीठ बन गए। इन शक्तिपीठ हिंगलाज देवी पीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है। पाकिस्तान में स्थित इस शक्तिपीठ को नानी का मंदिर और नानी का हज भी कहा जाता है। धार्मिक पुराणों के अनुसार इस स्थान पर माता सती का सिर गिरा था। बांग्लादेश में मां का उग्रतारा शक्तिपीठ है। मां का यह पावन शक्तिपीठ सुनंदा नदी के तट पर स्थित है। धार्मिक पुराणों के अनुसार इस स्थान पर माता सती की नाक गिरी थी। बांग्लादेश में मां के तीन और भी शक्तिपीठ हैं।
अपर्णा शक्तिपीठ- धार्मिक पुराणों के अनुसार इस स्थान पर मां सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी। यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के भवानीपुर गांव में है। चटगांव में मां का एक और शक्तिपीठ है, धार्मिक पुराणों के अनुसार इस स्थान पर माता सती की दाई भुजा गिरी थी। बांग्लादेश के यशोर नामक शहर में भी मां का पावन शक्तिपीठ है। धार्मिक पुराणों के अनुसार इस स्थान पर मां सती के बाईं हथेली गिरी थी।
नेपाल में माता के कई शक्तिपीठ हैं। नेपाल में गंडक नदी पर आद्याशक्ति का पीठ है। धार्मिक पुराणों के अनुसार इस स्थान पर माता सती का दांया गाल गिरा था। इस शक्तिपीठ में देवी की पूजा गंडकी रूप में होती है। नेपाल में माता का शक्तिपीठ पशुपतिनाथ मंदिर के पास में भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती के दोनों घुटने गिरे थे। नेपाल में मां के और भी कई शक्तिपीठ हैं, इनमें जनकपुर में वनदुर्गा, जयमंगला मंदिर और उग्रतारा हैं।
श्रीलंका में भी मां का पावन शक्तिपीठ स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीलंका में जिस स्थान पर मां का शक्तिपीठ है वहां पर माता सती की पायल गिरी थी। इस शक्तिपीठ में मां की पूजा इंद्राणी रूप में की जाती है। इसी तरह तिब्बत में मां का पावन शक्तिपीठ स्थित है। तिब्बत में मानसरोवर नदी के तट पर मां का पावन शक्तिपीठ स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर देवी सती की दाईं हथेली गिरी थी।