
केंद्र सरकार अब कोविड के फैलने की बजाए इसकी मृत्युदर को कम करने की कोशिशों में लग गई है। कुछ राज्यों में कोरोना से मरने वालों की संख्या ज्य़ादा होने के कारण देश में कोरोना मृत्यु दर एक प्रतिशत से ऊपर है। अगर ये मृत्युदर एक प्रतिशत से नीचे आ जाएगी तो कोरोना को लेकर लोगों के मन में फैले भय को भी कम किया जा सकेगा। इसी वजह से महाराष्ट्र, तमिलनाडू, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों को कहा गया है कि वो उन जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई करें जहां कोरोना से लोगों की मौत हो रही है।
दरअसल अभी तक भारत में 53 लाख कोरोना संक्रमितों में लगभक 85 हज़ार की मौत हुई है। हालांकि दुनिया के मुकाबले ये बहुत कम है। सरकार की कोशिश कुल कोरोना संक्रमितों में मौत कम से कम हो। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के मुताबिक अभी भारत में कोरोना से मरने वालों का औसत 1.65 प्रतिशत है। जिसको कम करके एक प्रतिशत से नीचे लाना है। इसी वजह से शनिवार को कैबिनेट सचिव ने 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ज्यादा मृत्यु वाले जिलों और अस्पताल के हिसाब से जानकारी पर विस्तृत चर्चा की थी। इन राज्यों को कहा गया है कि जिन जिलों में मृत्युदर ज्य़ादा है। वहां ऑक्सीजन और वेंटिलेटर मशीनें तुरंत पहुंचाई जाएं। साथ ही रैपिड एंटीजन जांच में लक्षण वाले एक भी मरीज नहीं छूटे और इस तरह के हर मामले में आरटी-पीसीआर जांच कराना जरूरी है।
दरअसल महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, चंडीगढ़, तेलंगाना, केरल, दिल्ली, पंजाब और बंगाल में देश के कुल कोरोना मामलों में करीब 80 प्रतिशत मामले इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के हैं। इन राज्यों में कोरोना मरीजों की मौत का प्रतिशत भी अन्य राज्यों के मुकाबले ज्य़ादा है। अगर ज्य़ादा मौत वाले जिलों में ऑक्सीजन, वैंटिलेटर और डॉक्टर की सुविधाएं ठीक से हो जाएं तो मृत्युदर काफी नीचे आ सकती है। लिहाजा इसी बात पर ज़ोर अब केंद्र सरकार दे रही है।