अब आइटी सेक्टर भी कोरोना के चपेट में, लाखों नौकरियां जाएगी

अब आइटी सेक्टर भी कोरोना के चपेट में, लाखों नौकरियां जाएगी
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अब आइटी सेक्टर भी कोरोना के चपेट में, लाखों नौकरियां जाएगी

कोविड-19 के कारोबार पर असर के कारण अगली कुछ तिमाहियों में कम से कम डेढ़ से दो लाख आईटी या आईटीईएस कर्मचारियों के प्रभावित होने के आसार हैं।

किन कम्पनियों ने अभी तक की छंटनी

नैसडेक में सूचीबद्ध कॉग्निजेंट ने पिछले साल दुनिया भर में करीब 13,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की थी। कंपनी के करीब 70 फीसदी कर्मचारी भारत में हैं। हाल में कुछ श्रम संगठनों ने आरोप लगाया था कि कॉग्निजेंट मूल्यांकन प्रक्रिया में जानबूझकर खराब रेटिंग देकर बड़ी तादाद में छंटनी के बारे में विचार कर रही है।

हालांकि कंपनी ने इससे इनकार किया है। कंपनी ने कहा कि उद्योग के लिए प्रदर्शन प्रबंधन एक सामान्य प्रक्रिया है।

आईबीएम

आईबीएम ने कथित रूप से अपने वैश्विक कर्मचारी पिरामिड को बेहतर बनाने के लिए भारत में कुछ कर्मचारियों की छंटनी की है।

एक्सेंचर

वैश्विक दिग्गज आईटी और सलाहकार कंपनी एक्सेंचर भी भारत में अपने हजारों कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। कंपनी ने इसे सालाना प्रदर्शन प्रक्रिया का हिस्सा बताया है। यह भी कहा जा रहा है कि बहुत सी भारतीय आईटी सेवा कंपनियां भी अपने कर्मचारियों की तादाद कम कर रही हैं क्योंकि वे राजस्व में गिरावट के बीच मुनाफे को बनाए रखने पर ध्यान दे रही हैं।

यह बड़ी कंपनियां भी छंटनी करने में शामिल

जून तिमाही के अंत तक टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल समेत शीर्ष चार आईटी कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या पिछली तिमाही की तुलना में 9,144 घटी थी। कर्मचारियों की तादाद टीसीएस में 4,788, इन्फोसिस में 3,138 और विप्रो में 1,082 घटी।

भारत के आईटी और बीपीएम क्षेत्र में करीब 44 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है।

कारण

आईटी सेवा उद्योग पिछले कुछ समय से अधिक ऑटोमेशन को अपनाने की बात कह रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह इस पर अब पहले की तुलना में ज्यादा बल दे रहा है। बहुत से आईटी अनुबंधों पर फिर से बातचीत हो रही है, जिनके दायरे को घटाया जा रहा है और लागू करने के समय में देरी की जा रही है। वहीं कुछ अनुबंध विशेष रूप से यात्रा एवं आतिथ्य और विमानन के अनुबंध समय से पहले ही खत्म किए जा रहे हैं।

बेंच में शामिल हो रहे

इससे बड़ी संख्या में कर्मचारी रिजर्व पूल में आ गए हैं, जिसे आईटी की भाषा में बेंच कहा जाता है क्योंकि वे किसी फीस प्राप्त होने वाली परियोजना में नियोजित नहीं हैं। सीआईईएल एचआर सर्विसेज के सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा, ‘पहले किसी परियोजना को माना कि करीब 80 कर्मचारी संभाल रहे थे, अब वह काम 60 लोग कर रहे हैं। इससे शेष 20 लोग बेंच में शामिल हो रहे हैं।’

मुनाफे के लिए छटनी

कंपनियां राजस्व प्रभावित होने के कारण एक निश्चित लाभ हासिल करने पर ध्यान दे रही हैं।’ जून में समाप्त तिमाही के दौरान ज्यादातर आईटी कंपनियों में कर्मचारियों की तादाद घटी थी क्योंकि इस तिमाही में कंपनियों से कर्मचारी जुड़े कम और निकले अधिक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कर्मचारियों की शुद्ध संख्या की वजह गैर-स्वैच्छिक निकासी है, जो और कुछ नहीं बल्कि छंटनी ही है।

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