
Partha Chatterjee Case:पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पार्थ की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को पीएमएलए कोर्ट में पेश (Arpita Mukherjee to appeared in PMLA court) किया। इधर ईडी ने दोनों की 14 दिन की कस्टडी मांगी है। इसके साथ ही कई चौंकाने वाली जानकारी भी कोर्ट के साथ साझा की गई है। वहीं अर्पिता की वकील नीलाद्री भट्टाचार्जी ने बताया कि उन्होंने आज जमानत अर्जी दाखिल नहीं की है। केवल अल्पकालिक पीसी की मांग की जाती है।
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने अदालत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अदालत को बताया कि अभी तक करीब 22 करोड़ रुपये नकद ही बरामद किए गए हैं। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये और वसूले जाएंगे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि यह बड़ा घोटाला है। इसमें कई लोग शामिल हैं। ऐसे में दोनों से पूछताछ करना जरूरी है।
12 फर्जी कंपनियां चलाने का दावा
ईडी ने कहा है कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पार्थ चटर्जी की ‘करीबी सहयोगी’ अर्पिता मुखर्जी ‘वित्तीय कदाचार’ के लिए करीब 12 फर्जी कंपनियां चला रही थीं। कोर्ट में एएसजी ने कहा कि हम ईडी की पूरी हिरासत की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में अपात्र उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र बांटे गए हैं। इन लोगों ने रिश्वत दी है। ईडी ने दो जगहों पर छापेमारी की है। एक पार्थ चटर्जी और दूसरी अर्पिता चटर्जी की लोकेशन पर। इस दौरान ज्वाइंट सेल डीड भी प्राप्त हुई है। बिक्री विलेख में संयुक्त नामों का भी उल्लेख किया गया है।
अर्पिता की कंपनियों में 21 करोड़ कैश का निवेश होना था
ईडी ने कहा कि पार्थ चटर्जी और अर्पिता चटर्जी की संयुक्त संपत्ति से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। यह प्रॉपर्टी पार्थ ने 2012 में खरीदी थी। अर्पिता ने पूछताछ में यह भी स्वीकार किया कि नकदी पार्थ की थी। अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी कंपनियों में इस पैसे को निवेश करने की योजना थी। नकद राशि भी एक-दो दिन में उसके घर से बाहर निकालने की योजना थी। मेडिकल जांच के दौरान एम्स भुवनेश्वर ने पार्थ की तबीयत ठीक पाई है।
अर्पिता की संपत्ति के दस्तावेज पार्थ के घर से मिले
एएसजी ने आगे बताया कि अर्पिता के फ्लैट के दस्तावेज पार्थ के घर से बरामद किए गए हैं। पार्थ अर्पिता मुखर्जी के साथ लगातार संपर्क में हैं। पार्थ भी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। दोनों संयुक्त नाम से खरीदारी कर रहे थे। पार्थ ने अपनी गिरफ्तारी के कागजात पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया था।