
अमेरिका में कोरोना के गंभीर मरीज़ों पर इस्तेमाल की जा रही रेमडेसिविर दवा पर नये अध्ययन का दावा कंपनी ने किया है। दवा निर्माता कंपनी गिलियड साइसेंज़ के मुताबिक जिन मरीज़ों को ये दवा दी गई उनके ठीक होने की संभावना 65 प्रतिशत ज्य़ादा हो गई है। इससे पहले ये दवा सिर्फ कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीज़ों को दी जा रही थी। इस अध्ययन के बाद अमेरिका का नियामक संस्था ने वहां के अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इस दवा के लिए अनुमित दे दी है। भारत में ये दवाई जायडस कैडिला रेमडेक् के नाम से बेच रही है।
अभी तक इस दवाई को सिर्फ उन मरीजों पर ही इस्तेमाल की इज़ाजत थी। जोकि गंभीर थे। लेकिन अब इस दवा के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा दिया गया है। दवा कंपनी के मुताबिक अब अमेरिका के डॉक्टर अस्पताल में भर्ती मरीजों को इस दवा को लेने की सलाह दे सकेंगे। कैलिफोर्निया में फोस्टर सिटी स्थित गिलियड साइंसेज ने इस दवा को मंजूरी देने के लिए दस अगस्त को एफडीए में आवेदिन किया था और यह दवा अमेरिका में वेक्लुरि के नाम से बेची जाएगी।
अस्पताल में भर्ती मरीजों पर हाल ही में एक सरकारी अध्ययन और गिलियड की ओर से एक सप्ताह पहले प्रकाशित अध्ययन किया गया था। इसके आधार पर आपातकालीन स्थिति में ही इस दवा के इस्तेमाल के दायरे को बढ़ाने की मंजूरी दी जा रही है।
गिलियड के अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 से ग्रस्त जिन मरीजों को पांच दिन तक रेमडेसिविर दवा दी गई उनमें ठीक होने की संभावना 65 प्रतिशत ज्यादा थी। भारत में भी ये दवा भी फिलहाल उपलब्ध है। रेमिडेसिविर का भारतीय वर्जन रेमडेक् है। जिसकी एक 100 एमजी के कोर्स की कीमत 2800 रुपये है।