….तो क्या इसलिए महाराष्ट्र में नहीं हो रहा मंत्रिमंडल विस्तार, सीएम शिंदे ने ट्रबल शूटर से की मुलाकात

….तो क्या इसलिए महाराष्ट्र में नहीं हो रहा मंत्रिमंडल विस्तार, सीएम शिंदे ने ट्रबल शूटर से की मुलाकात
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महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को शपथ लिए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, अभी तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है। सूत्रों से खबर है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस नहीं देता और यह तय नहीं करता कि शिंदे या ठाकरे का शिवसेना पर दावा सही है या नहीं, तब तक मंत्रिमंडल विस्तार को उसी तरह से रोक दिया जाएगा। इस बीच कल (4 मई, गुरुवार) देवेंद्र फडणवीस जल्दबाजी में दिल्ली गए और आज मुंबई लौट आए। इस बीच सीएम शिंदे ने कल सरकारी वकील उज्ज्वल निकम से मुलाकात की है।

कांग्रेस विधायक सतेज पाटिल ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी वह विभाग देने को तैयार नहीं है जो शिंदे गुट मांग रहा है, इसलिए मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है। लेकिन शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने फिर कहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में कोई दिक्कत नहीं है। विभागों के सभी समन्वय और विभाजन के बारे में चीजें तय कर ली गई हैं। अब मंत्रिमंडल विस्तार मात्र दो-तीन दिन में होना है।

सीएम शिंदे और उज्ज्वल निकम की मुलाकात के पीछे क्या है राज?

क्या सरकारी वकील उज्ज्वल निकम इस तरह के संकट के समय और मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में कानूनी बाधाओं को दूर करने में सीएम शिंदे की मदद करेंगे? यह चर्चा शुरू हो गई है। ठाणे में सीएम शिंदे के आवास ‘नंदनवन’ में कल हुई शिंदे-निकम बैठक के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन इतना तय है कि सीएम शिंदे उज्ज्वल निकम पर कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपने जा रहे हैं या फिर किसी बेहद गंभीर मुद्दे पर उनसे अहम सलाह ले रहे हैं।

कई हाईप्रोफाइल मामलों को देख चुके निकम

यह स्पष्ट है कि सरकारी वकील के रूप में राज्य में कई हाई प्रोफाइल मामले लड़ने वाले उज्ज्वल निकम को एक वकील के रूप में एक विशाल अनुभव है। ऐसे में उज्ज्वल निकम गुरुवार रात सीएम शिंदे के घर पहुंचे, इसकी वजह फिलहाल समझ में आ रही है कि शिंदे और ठाकरे ग्रुप के बीच सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही है, सीएम उनसे इस बारे में चर्चा करने के लिए कहेंगे। बुलाया होगा। उज्ज्वल निकम की राज्य में यह छवि है कि वह जिस भी मामले को लोक अभियोजक के रूप में उठाते हैं, उस मामले का फैसला सरकार के पक्ष में जाता है।

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