
1 लाख से अधिक ज्वेलरी, शैक्षिक शुल्क, बिजली बिल, 20 हजार से अधिक होटल बिल जैसे लेन देन की रिपोर्टिंग पर विचार
कोई करदाता ना छूटे अभियान
सरकार उन लोगों पर इनकम टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है जो अच्छी खासी कमाई के बावजूद सरकार को कर देने से बचने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सरकार ने कुछ उपाय सोचें हैं। दरअसल अब सरकार का प्रस्ताव है कि अगर कोई व्यक्ति सालाना ₹1 लाख से अधिक शैक्षिक शुल्क यानी एजुकेशनल फीस या दान का भुगतान देता है तो इस लेन-देन की रिपोर्टिंग आयकर विभाग को होगी।
इन लेनदेन की भी रिपोर्टिंग का प्रस्ताव
इसी तरह एक लाख से अधिक की बिजली खपत, बिजनेस क्लास में घरेलू या हवाई विदेश यात्रा, 20,000 से अधिक का होटल भुगतान, एक लाख से ज्यादा ज्वेलरी, पेंटिंग, आदि की खरीद, चालू खाते में 50 लाख से अधिक जमा क्रेडिट, गैर चालू खाता में 25 लाख रुपए से अधिक जमा या क्रेडिट, सालाना 20 हजार से अधिक संपत्ति कर का भुगतान, ₹50 हजार से अधिक जीवन बीमा प्रीमियम, ₹20 हजार से अधिक स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और शेयर या डीमैट खाते या बैंक लॉकर का लेनदेन भी रिपोर्टिंग के दायरे में शामिल होने का प्रस्ताव है।
सरकार ने इस बारे में बाकायदा ट्वीट कर जानकारी दी है।
क्या है इसका मतलब ?
दरअसल आयकर विभाग अब अपने रिपोर्टिंग ढांचे के अंतर्गत और अधिक लेन देन को शामिल करने की सोच रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि वित्तीय संस्थानों और दूसरी फार्म को आयकर विभाग को इन लेनदेन के बारे में रिपोर्टिंग करनी होगी। आयकर विभाग उस डॉटा का अध्ययन करेगा और ऐसे लोगों को देखेगा कि जो अच्छी खासी आय और बड़ी खरीद करने के बाद भी टैक्स नहीं देते हैं या रिटर्न तक फाइल नहीं करते हैं।
सरकार का कहना है कि टैक्स आधार बढ़ाने के लिए यह प्रस्तावित उपाय हैं और इसके लिए सरकार बेहतर अनुपालन और पारदर्शिता सुनिश्चित कर रही है। सरकार का मकसद है कि कोई करदाता ना छूटे। सरकार की ओर से यह भी जानकारी दी गई है कि रिटर्न फाइल नहीं करने वालों के लिए कुछ दर पर टैक्स की कटौती की जाएगी। साथी 30 लाख से अधिक बैंक लेनदेन वाले व्यक्ति द्वारा रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है। 50 लाख से ऊपर के कारोबार वाले सभी पेशेवर और कारोबारियों और 40,000 से अधिक किराया का भुगतान करने वालों के लिए टैक्स अदा करना और रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है।
दरअसल सरकार की चिंता यही रही है कि लोग भारी कमाई और खरीदारी के बावजूद टैक्स देने में आनाकानी करते हैं। वेतन भोगी कर्मचारियों की तो सैलरी से ही टैक्स कट जाता है लेकिन दूसरे मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को कहा था कि 130 करोड़ की आबादी में सिर्फ डेढ़ करोड़ लोग ही टैक्स अदा करते हैं।