क्या बिहार में बीएसपी की तरह हो जाएगा नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का हाल, यूपी में अस्तित्व के लिए लड़ रही है पार्टी

क्या बिहार में बीएसपी की तरह हो जाएगा नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का हाल, यूपी में अस्तित्व के लिए लड़ रही है पार्टी
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बिहार में नीतीश कुमार ने एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बनाने का फैसला किया है और आज नीतीश कुमार बिहार में आठवीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे। अगर देखें तो बिहार में जेडीयू की स्थिति बीएसपी की तरह हो गयी है और इसके कारण आज राज्य में बीएसपी अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है। अगर बीएसपी के इतिहास को देखें तो उसने भी राज्य में लगातार गठबंधन किए और फिर उन्हें तोड़ा और अब बीएसपी को इसको खामियाजा भुगतना पड़ा है। कुछ ऐसा ही हाल बिहार में जेडीयू का भी है और वह लगातार अपनी सियासी जमीन को खोती जा रही है।

अगर पिछले तीन दशकों के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो कभी बहुजन समाज पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कमोबेश सभी राजनीतिक दलों सपा, कांग्रेस और बीजेपी के साथ गठबंधन किया है। इसके बावजूद उन्होंने ऐन वक्त पर पलटवार कर अपने राजनीतिक हित साधने में कोई संकोच नहीं किया। बसपा ने वर्ष 1993 में सपा के साथ गठबंधन किया था। बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने नब्बे के दशक में यूपी की राजनीति में गठबंधनों का ऐसा कॉकटेल तैयार किया, जिससे अन्य दलों के पसीने छूट गए। गठबंधन सत्ता में जरूर आया, लेकिन 1995 में स्टेट गेस्ट हाउस की घटना के बाद यह टूट गया।

सपा के साथ नाता तोड़ बीजेपी के साथ सरकार बनाई

सपा से नाता तोड़ते हुए मायावती भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद 3 जून 1995 को पहली बार मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन भाजपा के साथ उनका जुड़ाव ज्यादा दिनों तक नहीं चला।राज्य में मध्यावधि चुनाव हुए। उसके बाद जब किसी को बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी और बीएसपी फिर से मिलकर सरकार बनाने में जुट गए। तय हुआ कि बसपा और भाजपा के मुख्यमंत्री छह-छह महीने तक रहेंगे। लेकिन बसपा बीच में ही पलट गई।

2014 के लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमट गई बीएसपी

अगर बात 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो वह चुनाव में शून्य पर सिमट गयी और बसपा एक बार फिर गिरते जनाधार के साथ गठबंधन की ओर बढ़ गई। स्टेट गेस्ट हाउस कांड का तीखा घूंट लेते हुए मायावती ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश की युवा नीत सपा के साथ गठबंधन किया। बसपा को 10 सीटें मिली हैं। मायावती को भले ही फायदा हुआ हो, लेकिन छह महीने के अंदर ही उन्होंने पलटकर सपा से नाता तोड़ लिया। तर्क दिया कि उनका वोट सपा को ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन हमें उनका वोट नहीं मिला। साथ ही कहा कि सपा कैडर आधारित पार्टी नहीं है।

बीएसपी ने मुलायम को सीएम बनाया

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा ही नहीं समाजवादी पार्टी भी चुनाव से पहले और बाद में अन्य दलों के साथ गठबंधन करती रही है और जरूरत पड़ने पर गठबंधन से अलग होती रही है। सपा बनाने से पहले मुलायम सिंह यादव जनता दल का हिस्सा थे। फिर वह 1989 में पहली बार काफी प्रयास से यूपी के सीएम बने। बाद में उन्होंने तत्कालीन बसपा सुप्रीमो कांशीराम से हाथ मिलाकर चुनाव लड़ा और 1993 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।

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Deepak Upadhyay

Deepak Upadhyay, a RedInk awardee, has been into journalism for the past 20 years. He started practicing journalism from Amar Ujala Chandigarh. The founding editor of www.theekhabar.com and www.AyurvedIndian.com has been reporting on government policies for quite a long time.
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