
एक था एंटी रोमियो दल जो यूपी (UttarPradesh) की योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditanath) सरकार ने 2017 में बनाया था इसके गठन का मकसद महिलाओं और लड़कियों में सुरक्षा (Secutiry) की भावना को मजबूत करने के साथ ही लड़कियों को छेड़ने वाले मनचलों पर काबू पाना था। लेकिन इसके उलट मीडिया में कई तरह के ऐसे मामले आए जहां यह एनटी रोमियो स्क्वायड पार्कों में बैठे प्रेमी युगल को परेशान करता दिखा।
अप्रैल 2017 में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एंटी रोमियो दल को दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए कहा। इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका देने वाले ने बकायदा कोर्ट के सामने लखनऊ के गोमती पार्क का वीडियो दिखाया जिसमें एंटी रोमियो दल और पुलिस युगल प्रेमी जोड़े को परेशान करती हुई दिख रही थी। कोर्ट के कहने के बाद यूपी सरकार ने इस दल को अपने आचरण में सुधार करने के लिए कहा।
यूपी सरकार द्वारा शुक्रवार को ही दिए गए आंकड़े बताते हैं कि anti Romeo squad अभियान के तहत प्रदेश में अब तक 35 लाख से अधिक स्थानों पर 83 लाख से अधिक व्यक्तियों की चेंकिग की गई, जिनमें 7,351 के खिलाफ मुकदमे हुए और 11,564 व्यक्ति गिरफ्तार किए गए.
सवाल यह है कि इस एंटी रोमियो दल का आखिर कितना फायदा हुआ महिलाओं के खिलाफ कितने अपराध रुके।
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2018 के मुताबिक देशभर में महिलाओं के खिलाफ 3,78,277 अपराधिक मामले दर्ज हुए इसमें खास बात यह रही कि उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर था जहां 59445 मामले दर्ज थे। 2017 के एनसीआरबी रिकॉर्ड में भी उत्तर प्रदेश 56011 मामलों के साथ सबसे ऊपर था।
अब एंटी रोमियो स्क्वायड का क्या असर हुआ यह तो आंकड़े देख कर आप खुद ही अंदाजा लगाएं।
अब सुनने को मिल रहा है कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार, सामूहिक बलात्कार समेत अपराधिक मामले बढ़ रहे हैं और सोशल मीडिया में इन मामलों का जिक्र बहुत ज्यादा हो रहा है तो ऐसे में
यूपी की योगी सरकार ऑपरेशन दुराचारी नाम का एक और अभियान शुरू करने जा रही है, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले आरोपी की तस्वीरें सार्वजनिक स्थानों पर लगाई जाएंगी ताकि उनकी बदनामी हो सके और वह दोबारा अपराध ना कर सके।
लेकिन सवाल यह है कि बिना अपराध साबित किए अगर इन आरोपियों की तस्वीरें सबके सामने लगती हैं तो इस अभियान के दुरुपयोग के मामले भी बढ़ सकते हैं। झूठे आरोपों में पुरुषों को फंसाया जा सकता है, भले वह बाद में कोर्ट से छूट जाए लेकिन ऑपरेशन दुराचारी के तहत बदनाम तो पहले ही हो जाएगा।
मीडिया में ऐसे कई मामले देखने और पढ़ने को मिल जाते हैं जिसमें कुछ महिलाओं ने गलत तरीके से पुरुषों को छेड़खानी समेत अन्य कई मामलों में फंसाने की कोशिश की।
बाद में कोर्ट में आरोप सही साबित नहीं होने पर इसका पर्दाफाश हुआ। लेकिन अब अगर बिना कोट की प्रक्रिया से पहले ही आरोपी की तस्वीरें सार्वजनिक की जाती है, तो इसके दुरुपयोग की ज्यादा संभावना पैदा होती है साथ ही पुलिस द्वारा लोगों को परेशान करने के मामले भी बढ़ सकते हैं।
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